अष्टमुदी झील के शांत जल के बीच अद्भुत हाउसबोट टूर आपको राजसी थेवाली महल ले जाएगा जो कभी त्रावणकोर के राजा का निवास था।  पुर्तगाली, ब्रिटिश और डच वास्तुकला का संगम यह महल राजकीय शासनकाल के भव्य इतिहास के बारे में बहुत कुछ बताता है। नारियल की क्यारियों और ताड़ के पेड़ों के बीच बना यह महल अपने आसपास की सुरम्य चीजों के गौरव को बताता है जिसका लुत्फ इस महल के शीर्ष पर जाकर उठाया जा सकता है। इसमें संगमरमर के पत्थर पर भी कारीगरी की गई है। लेटराइट और चूना का इस्तेमाल करके इसमें प्लास्टर किया गया है ताकि गर्मी के सीजन में इसके अंदरूनी हिस्से को ठंडा रखा जा सके।  इस महल का निर्माण 1811 और 1819 के दौरान त्रावणकोर की रानी गौरी पृथ्वी बाई ने करवाया था। ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा इसका इस्तेमाल बैठकों के लिए किया जाता था। किवदंती के मुताबिक, इस महल ब्रिटिश अधिकारी और स्थानीय महिला की खूबसूरत प्रेम कहानी का गवाह रहा है। हालांकि वह अंग्रेज महल के बाहर रहता था जबकि वह महिला महल के अंदर रहती थी।  माना जाता है कि दो प्रेमी कुत्ते के जरिये अपने संदेश भिजवाया करते थे, जिनकी याद में थेवाली महल के भीतर एक स्मारक बनवाया गया है। 

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