कोच्चि शहर, कोचीन कार्निवल के दौरान रोशनी से जगमगा उठता है,  जो जीवन और शक्ति का उत्सव है। आमतौर पर, दिसंबर के आखिरी दो हफ्तों के दौरान, कार्निवल में कई प्रतियोगिताओं और गतिविधियों का आयोजन किया जाता है, जैसे वदम वली (रस्साकशी), कलाम वर (जमीन पर बनाई जाने वाली आकृतियां), बीच फुटबॉल, तैराकी, मैराथन दौड़, साइकिल रेसिंग, बुलेट रेसिंग, कयाकिंग, बॉक्सिंग, कबड्डी और बीच बाइक रेसिंग। उन लोगों के लिए जो इन चीजों का शौक रखते हैं, कला से जुड़े कायर्क्रम, संगीत कार्यक्रम और विस्तृत रैलियां एक अद्भुत विकल्प हो सकते हैं। कार्निवाल में एक प्रमुख आकर्षण 31 दिसंबर और 1 जनवरी के बीच पपनई का पुतला जलाना होता है। यह बीते साल को अलविदा कहने और नए का स्वागत करने के लिए किया जाता है। यह माना जाता है कि बुराई को दूर भगाकर नए जन्म की तैयारी की जाती है। इसके बाद आतिशबाजियों का शानदार प्रदर्शन होता है। इसका समापन 1 जनवरी को होता है और यह एक विशेष दिन होता है, जिसमें एक भव्य जुलूस निकाला जाता है, जिसका नेतृत्व एक सजा-धजा हाथी करता है।

कार्निवल की उत्पत्ति 1503 और 1663 के बीच पुर्तगाली शासन के समय में हुई थी। उपनिवेशवादियों ने फोर्ट कोच्चि को अपनी राजधानी बनाया और इसे नए साल के समारोह के लिए स्थान बनाया। हालांकि यह परंपरा पुर्तगाली शासन के साथ समाप्त हो गई, लेकिन एंटनी अनूप स्कारिया, जॉर्ज ऑगस्टीन थुन्दीपराम्बिल और आनंद फेलिक्स स्केरिया के नामक तीन आदमियों ने इसे फिर से पुनर्जीवित किया। यह त्योहार तब से मनाया जा रहा है।