युद्ध के हिंदू देवता भगवान मुरुगन की श्रद्धा भक्ति में किया जाने वालाए कावड़ी अट्टम या मुख्य नृत्य एक प्रकार का धार्मिक संस्कार और बलिदान का समारोह है। हालांकिए मूलतरू यह एक अनुष्ठान हैए इस नृत्य में उच्च स्तर का समन्वय और नृत्य.संयोजन रहता है।

नृत्य की शुरुआत सदियों पहले हुई थीए जब प्राचीन तमिल समुदाय के लोग अपने भगवान के लिए अपने कंधों पर चढ़ावा लेकर लंबी तीर्थयात्राओं पर निकलते थे। कंधों पर रखा चढ़ावा एक लंबी छड़ी के एक छोर से जुड़ा होता है। कहा जाता है कि इस लंबी यात्रा में बोरियत भगाने के लिएए भक्तों ने गीत लिखना और देवताओं के लिए नृत्य करना शुरू किया। इसकी पराकाष्ठा कावड़ी अट्टम की रचना के रूप में हुई। कावड़ी अट्टम नृत्य केवल पुरुषों द्वारा किया जाता था। वे नृत्य के दौरान एक लंबे डंडे के दोनों छोर से जुड़े दूध या नारियल के पानी से भरे बर्तनों का संतुलन भी बनाए रखते थे।

यह नृत्य आमतौर पर थाईपुसम उत्सव के दौरान किया जाता है। इस त्यौहार की तैयारी 48 दिन पहले से शुरू हो जाती हैए जिसके दौरान भक्त अपने सिर मुंडवाते हैं और लगातार प्रार्थना करकेए एवं केवल शाकाहारी भोजन खाकर खुद को शुद्ध करते हैं।

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