अमृतसर से करीब 75 किलोमीटर दूर स्थित गुरदासपुर की स्थापना गुरुजी महंत ने 17वीं सदी में की थी। व्यास व रावी नदियों से घिरे पंजाब का यह प्रमुख शहर राज्य का सबसे उत्तरी ज़िला है। इस शहर का ऐतिहासिक व आध्यात्मिक महत्त्व भी है, ऐसा कहा जाता है कि मुग़ल शासक अकबर यहां पर भी सत्तारूढ़ थे। महान सिकंदर ने अपनी अनेक लड़ाइयों में से एक यहीं पर लड़ी थी। पर्यटक यहां से लगभग 30 किलोमीटर दूर बटाला भी जाते हैं, ऐसा माना जाता है कि यहां पर गुरु नानक का विवाह हुआ था। कंध साहिब गुरुद्वारा जहां विवाह समारोह संपन्न हुआ था, यहां का मुख्य आकर्षण है। बटाला में अकबर के सौतेले भाई शेर ख़ान का मकबरा भी है। यह मकबरा मुग़ल वास्तुशिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है तथा इसे देखने आसपास के क्षेत्र से लोग यहां आते हैं। बटाला के निकट कादियां स्थित है, जो अहमदिया समुदाय के संस्थापक मिर्ज़ा हादी बेग़ की जन्मस्थली रही है।

गुरदासपुर के अन्य आकर्षणों में महाराजा रणजीत सिंह के पुत्र महाराजा शेर सिंह द्वारा बनवाया गया महल तथा सैयद इमाम अली शाह का मकबरा भी है। गुरदासपुर में प्रमुख प्राकृतिक आर्द्रभूमि क्षेत्र केशोपुर भी स्थित है जो सर्दियों में मध्य एशिया एवं साइबेरिया के हज़ारों प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करता है। यहां दिखने वाली प्रसिद्ध प्रजातियों में विजियन बत्तख, डब चिक, काली इबिस, सोनुला बत्तख, बटवा तथा उत्तरी शोव्हेलर प्रमुख हैं।

अन्य आकर्षण