भारत के पास दिखाने के लिए विश्व की बेहतरीन मस्जिद और दरगाह है, जिसमें सबसे मुख्य दिल्ली की जामा मस्जिद है। 1650 में शाहजहाँ द्वारा बनाई गई ये मस्जिद, भारत की सबसे बड़ी मस्जिद मानी जाती है। अपने आध्यात्मिक महत्व के साथ ही ये अपनी वास्तु कला के सौंदर्य के लिए भी जानी जाती है। अपनी समान ऊंचाई के गुम्बद से लेकर जटिल नक्काशी तक, यह मस्जिद शानदार दर्शनीय स्थल है।

एक और चर्चित स्थल, जहाँ से अध्यात्म की गूँज सुनाई देती है, वह है जम्मू कश्मीर की डल झील पर स्थित हज़रतबल की दरगाह। ये हजरत मोहम्मद के शिष्य का घर माना जाता है और इसलिए वह इस केंद्र शासित प्रदेश के भक्तिमय स्थलों में से एक है।

राजस्थान के अजमेर शरीफ में माना जाता है की कोई दुआ खाली नहीं जाती। गरीब नवाज़ हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की आरामगाह, दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी दरगाह मानी जाती है।

आगरा के फतेहपुर सीकरी की भव्य इमारत, हज़रत शेख सलीम चिश्ती एक महान फकीर, की मज़ार है। हर शुक्रवार, सैकड़ों आदमी और औरत दरगाह में प्रार्थना के लिए इकट्ठा होते हैं और पूरा माहौल ईश्वरीय सा हो जाता है।

मुम्बई के मुख्य आकर्षणों में से एक, हाजी अली की दरगाह, मुस्लिम फकीर पीर हाजी अली शाह बुखारी की मज़ार और एक मस्जिद है। एक बार-बार दोहराई जाने वाली आस्था ये है कि जो भी फकीर पीर हाजी अली शाह बुखारी से कुछ मांगता है वो निराश नहीं होता। ये इमारत शांति और सौम्यता का अद्भुत मिश्रण है, जो मुख्य शहर की कोलाहल से दूर, नीले शांत पानी में तैर रहा है। सूफी संगीत और कव्वाली का सीधा प्रदर्शन अक्सर दोपहर के वक़्त यहाँ होता है। गुरुवार और शुक्रवार यहाँ दरगाह पर खास दिन होता है और भक्तों की भारी भीड़ इन दिनों यहाँ दिखाई देती है।

दिल्ली के प्रमुख भक्ति स्थलों में सूफी फकीर हज़रत निजामुद्दीन औलिया (1238-1325 ई.) की मज़ार हज़रत निजामुद्दीन दरगाह के रूप में जानी जाती है। इस दरगाह में सुदूर इलाकों से लोग आते हैं और उन्हें दीवार में बनी जालियों में लाल धागा बांधते देखा जा सकता है, जिससे उनकी प्रार्थना सुनी जा सके। प्रार्थना के दौरान अगरबत्ती जलाने और गुलाब के फूल की पत्तियों को चढ़ाने का भी चलन है। मज़ार पर चादर चढ़ाना भी काफी पवित्र माना जाता है।