देश भर में सबसे ज्यादा लोगो द्वारा अपनाया और निभाये जाने वाला धर्म, हिन्दू धर्म विश्व के सबसे पुराने धर्मों में से एक है। दरअसल, ये सनातन धर्म अर्थात सदा रहने वाला धर्म, के नाम से भी जाना जाता है। हजारों मंदिर, आश्रम और पवित्र स्थलों जैसे घाट और प्राकृतिक तत्व जैसे, नदी, पेड़ और पहाड़, हिन्दू धर्म का महत्व हर गली, नुक्कड़ में आप महसूस कर सकते हैं। अयोध्या की धरती जहाँ भगवान राम चले या गोकुल की गलियां जहाँ युवा श्री कृष्ण ने रास रचाया या अटल हिमालय जहाँ भगवान शंकर का निवास माना जाता है। शायद ही देश का कोई ऐसा हिस्सा हो जहाँ देवी, देवताओं के महात्म्य की गूँज न सुनाई दे।

हिन्दू धर्म में आस्था रखने वाले बहुत से लोग चार मुख्य तीर्थ में विश्वास करते हैं, जहाँ हर भक्त को जीवन मरण के चक्र से मुक्त होने के लिए अपने जीवन काल में एक बार अवश्य जाना चाहिए। ये चार धाम हैं- केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री (उत्तराखंड)। बहुत से तीर्थ यात्री हिमालय के हृदय से होती हुई एक कठिन यात्रा करते हैं, इन स्थानों पर पहुँचने के लिए। देश के अन्य प्रमुख धार्मिक स्थानों में द्वारका (गुजरात), पुरी (ओडिसा), रामेश्वरम (तमिलनाडु) शामिल हैं।

नदी और धारायें हिन्दू धर्म में बहुत अधिक पूज्यनीय हैं और बहुत से शहर इन नदियों के किनारे ही बसे हुए हैं, जो पवित्र माने जाते हैं। हिन्दू धर्म के सात पवित्र शहरों में वाराणसी, हरिद्वार, अयोध्या, मथुरा, द्वारिका, कांचीपुरम और उज्जैन हैं।

वाराणसी या बनारस, पवित्र गंगा के किनारे बसा हुआ और विश्व के प्राचीनतम निवास स्थलों में से एक है। प्रसिद्ध गंगा आरती से लेकर दाह संस्कार तक, इसके घाट कालातीत परंपराओं को आज तक निभाते चले आ रहे हैं।

उत्तराखंड का हरिद्वार शहर, हिमालय की गोद में बसा हुआ, भक्तों की चहलकदमी से गूँजता, अपनी हवाओं में अगरबत्ती की महक लिए और मंदिर की घण्टियों की आवाज से झंकृत रहता है। यह रोज, हजारों की संख्या में लोगों को पवित्र पावन गंगा में डुबकी लगाते है। गंगा का उद्गम हिमालय से हुआ है। भक्तगण, साधु-महात्मा नदी के घाट पर भीड़ बनकर, यहाँ डुबकी लगाने आते हैं क्योंकि हिन्दू आस्था के अनुसार, यहाँ नहाने से सब पाप धुल जाते हैं।

भगवान राम की जन्मस्थली कहलाने वाली अयोध्या, उत्तर प्रदेश में स्थित है और हिंदुओं की प्रसिद्ध तीर्थ स्थली है। सुरम्य सरयू नदी के किनारे बसा यह शहर मंदिरों से आच्छादित है, जिनमें से कई घाटों से जुड़े हुए है।

पवित्र यमुना नदी के किनारे बसा, उत्तर प्रदेश का मथुरा और वृंदावन, भगवान कृष्ण के बाल्यकाल का स्थान माना जाता है। गलियों की भूलभुलैया में असंख्य मंदिर, मंदिर से जुड़े घाट और उनसे जुड़ी भगवान श्री कृष्ण की कहानी। आज भी यहाँ की गलियों से उनके जन्म की घटना को सुना जा सकता है और इसी कारण दूर दराज से लोग यहाँ खिंचे चले आते हैं। ये शहर श्री कृष्ण, जो भगवान विष्णु का सबसे चर्चित और मनभावन अवतार माना जाता है, को समर्पित, बहुत से मंदिरों के लिए प्रख्यात है।

अरब सागर के किनारे बसा हुआ, गुजरात का द्वारका शहर, भगवान श्री कृष्ण की निवास स्थली थी और एक सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। सौराष्ट्र प्रायद्वीप के किनारे पर बसा यह प्राचीन शहर द्वारिकाधीश मंदिर के लिए जाना जाता है जो रमणीय गोमती की खाड़ी पर खड़ा है।

अध्यात्म और शांति का पर्यायवाची हैं तमिलनाडु का मंदिरों का शहर कांचीपुरम। यह शहर प्राचीन मंदिरों से भरा हुआ जो अपने अद्वितीय वास्तु-कला और आँखों को मिलने वाली सुंदरता के लिए जाना जाता हैं। वेगावथी नदी के किनारे पर बसा, यह शहर कभी 1000 मंदिरों से भरा हुआ था, जिनमें से आज मात्र 126 बचे हैं (108 शैव और 18 वैष्णव)।

क्षिप्रा नदी के सहारे फैला हुआ मध्यप्रदेश का प्राचीन शहर उज्जैन, हलचल भरी गलियों और मंदिर के ताने बानो से बुना हुआ, मंदिरों के शहर में रूप में जाना जाता है। उज्जैन हर बारह साल में लगने वाले सबसे बड़े आध्यात्मिक उत्सव, महाकुंभ के मेलों के लिए भी जाना जाता है (शेष 3 प्रयागराज, नाशिक और हरिद्वार)। यह शहर सिंहस्थ कुम्भ में दुल्हन की तरह सजा मिलता है, जिससे लाखों की संख्या में लोग सारे विश्व से इस आस में खिंचे चले आते हैं कि यहाँ उनके सारे पाप धुल जाएंगे।

इसके साथ, हिन्दू धर्म में बहुत से लोगों का विश्वास है कि लंबी यात्रा नदी, मंदिर, आर पहाड़ो की परिक्रमाओं से भी दिव्य स्वरूप को श्रद्धा सुमन अर्पित किया जा सकता है। फिर चाहे वो 250 कि. मी लम्बी वृंदावन की 84 कोस परिक्रमा हो या 2600 कि. मी लम्बी नर्मदा परिक्रमा, जो नदी के साथ चलती जाती है। ये सब यात्रायें स्वयं को खोजने का मार्ग है, जहाँ मनुष्य अध्यात्म में विश्वास करना सीखता है।