भारत के प्रमुख धर्मों में से एक, बौद्ध धर्म, भगवान बुद्ध या सिद्धार्थ गौतम, एक शाक्य प्रजाति के राजकुमार, की शिक्षा पर आधारित है। ऐसा कहा जाता है कि युवा राजकुमार ने एक बार बहुत अधिक दुःख देखा और अपना सारा वैभव सच और ज्ञान की खोज में छोड़ दिया। बहुत सालों के निर्थक प्रयास के बाद, ऐसा माना जाता है कि बुद्ध ने बोधगया बिहार में निर्वाण की प्राप्ति की। आज, इस विलक्षण शहर में शांत माहौल पसरा पड़ा है, जिसके भीतर गहन भक्ति बहती है। मठों, विहारों से आच्छादित, ये 2500 साल पुराना बौद्ध धर्म की जन्म स्थली, आज भी दुनिया के हर कोने से पर्यटकों को आमंत्रित करती है, जिससे वो अध्यात्म की लहर में गोते लगा सके, भगवान बुद्ध के पदचिन्हों पर चलकर उनके दर्शन को समझ सके। संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, विज्ञान और सांस्कृतिक संगठन के विश्व विरासत स्थलों में से एक महाबोधि मंदिर से लेकर बोधि वृक्ष तक, यहाँ देखने को बहुत कुछ है।

विश्व के प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थलों में सबसे पूज्यनीय, सारनाथ में माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने निर्वाण के बाद पहली बार उपदेश दिया था। सारनाथ में कालातीत बहुत से ढांचे हैं जैसे धामेख स्तूप, जहाँ भगवान बुद्ध ने पहला उपदेश दिया था और चौखंडी स्तूप जहाँ भगवान बुद्ध अपने पहले पांच शिष्यों से मिले थे। सारनाथ का ये आध्यात्मिक दौरा, बिना बोधि वृक्ष के दर्शन के पूरा नहीं होता। ऐसा माना जाता हैं बोधगया के बोधि वृक्ष से एक हिस्सा काटकर यहाँ लगाया गया था। पास ही स्थित श्रीलंकाई मठ भी आसानी से पहुँचा जा सकता है।

अपने बौद्ध विहार महापरिनिर्वाण मंदिर के लिए जाना जाने वाला, उत्तर प्रदेश का कुशीनगर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। इस मंदिर में गृह के दाहिनी ओर भगवान बुद्ध की 6 मीटर ऊँची मूर्ति है। ऐसा माना जाता हैं कि भगवान बुद्ध ने मोक्ष के परम चरम को यहाँ प्राप्त किया था। महापरिनिर्वाण मंदिर के बाद कुशीनगर संग्रहालय इस शहर के इतिहास के बारे में गहरी समझ प्रदान करता है।

प्राचीन शहर, श्रावस्ती बौद्ध धर्म का एक मुख्य तीर्थ केंद्र है, जहाँ भारत और विदेशों से, जैसे थाईलैंड, जापान, चीन और श्रीलंका से भी लोग आते हैं। राप्ती नदी के किनारे बसा, यह शहर जादुई स्तूप के लिए मशहूर है, जहाँ माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने ज्ञान पाने के बाद समय बिताया था। उनकी शिक्षा और उपदेश, श्रावस्ती को बौद्ध शिक्षा का प्रमुख केंद्र बनाता है। भगवान बुद्ध की शिक्षा को सम्मानित करने के लिए एक स्तूप भी खड़ा किया गया है।
 
पुरातत्व सर्वेक्षण का स्थल, उत्तर प्रदेश का कौशाम्बी वो जगह मानी जाती है, जहाँ भगवान बुद्ध ने अपने ज्ञान पाने के 6 वे और 9 वे वर्ष बाद, रहकर, उपदेश दिए थे। चंद्र वंश के राजा कौशम्ब द्वारा बसाया कौशाम्बी, बौद्ध साहित्य की प्रसिद्ध पुस्तक अंगुत्तर निकाय के अनुसार, भारतीय प्राचीन इतिहास के 16 महाजनपदों में से एक था।

एक विलक्षण, छोटा सा गांव, जहाँ इतिहास के सबसे महानतम शिक्षा संस्था नालन्दा विश्वविद्यालय के अंश है, 11 मठ और 6 ईंटों के मंदिर, संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, विज्ञान और सांस्कृतिक संगठन के विश्व धरोहर स्थल में से एक, बिहार का नालन्दा, इतिहास में गहरा दफन है। प्राचीन इतिहास में अपनी महानता और प्रभुता के गुणगान से गुंजायमान, जब इस स्थल को प्रमुख बौद्ध केंद्र की तरह देखते है, तो यहाँ भगवान बुद्ध के पदचिह्न देखने को मिलते है।

भारत में बहुत से बौद्ध विहार है, जहाँ इच्छुक व्यक्ति जा सकता है। उनमें से कुछ प्रमुख स्थल है: लद्दाख का हेमिस, सिटी घाटी में ताबो, धर्मशाला में तसुलगलगखंग, लद्दाख में ठीकसे मठ, अरुणांचल प्रदेश में तवांग, कर्नाटक में ब्यलकुप्पे, लाहौल में शशुर, पश्चिम बंगाल में घुम, सिक्किम में रूमटेक और बहुत से अन्य।