विलासिता पूर्ण भारतीय रेशम, बुनावट, छींट, पैवंदकारी, कढ़ाई के काम, सिलाई के काम, और चमकीले रंगों और पैटर्नों की सुंदरता ऐतिहासिक और दिव्य है। इतिहास ऐसी साहसिक यात्राओं के किस्सों से भरा पड़ा है जो इन खज़ानों की खोज में की गईं। दूर दूर से व्यापारी समुद्री खतरों का सामना कर के भारतीय वस्त्रों और डिज़ाइन तथा मसालों की इस समृद्ध दुनिया का हिस्सा बनने के लिए भारत आते थे, जो अब पूरी तरह से लुप्त हो चुकी है, लेकिन उत्सुक जनता के लिए देश में कुछ बहुत ही उत्कृष्ट वस्त्रों एवं डिजाइन के पैटर्न के त्वरित कोर्स उपलब्ध हैं। 

जम्मू और कश्मीर का पशमीना, देश में सभी ऊनी वस्त्रों में सब से ज़्यादा मांग वाला और महंगा वस्त्र है। यह केंद्र शासित प्रदेश अपनी विशेष और जटिल कढ़ाई के काम, जिसे काशीदारी और आरी का काम भी कहा जाता है, के लिए भी मशहूर है। सिलाई और कढ़ाई के काम के शौक़ीनों के लिए उत्तर प्रदेश का चिकनकारी का काम, पश्चिम बंगाल और उड़ीसा का कांथा का काम, पंजाब की फुलकारी, मध्य भारत की जरदोज़ी, राजस्थान की पैवंदकारी और गुजरात का शीशे का काम भी कुछ लोकप्रिय उदाहरण हैं। 

पूरे देश में उपलब्ध रेशम की विभिन्न किस्में भी आप को आश्चर्यचकित कर देती हैं। प्राचीन और सुंदर चँदेरी रेशम से ले कर भागलपुरी रेशम, मूंगा रेशम, मैसूर रेशम, कुचई रेशम तथा विलक्षण कांजीवरम रेशम तथा बनारसी रेशम तक की किस्में यहाँ पाई जाती हैं।