भारत के त्यौहार यहाँ की प्राचीन परंपरा और संस्कृति का बेहतरीन प्रतिनिधित्व करते हैं। यहाँ सब से प्रतिष्ठित उत्सव दीपावली का होता है, जिसे उजाले के त्यौहार के तौर पर ख्याति प्राप्त है, यह अक्टूबर या नवंबर में मनाया जाता है। देश के और त्यौहारों की तरह इसकी कहानी भी मिथकों, धर्म और किंवदंतियों से ली गई है। कहा जाता है कि इस दिन राम 14 वर्ष का बनवास पूरा कर के वापस लौटे थे। इस बात से उन की राजधानी के लोग इतने खुश थे कि उन्होंने उन के स्वागत में अपने अपने घरों में दिये जलाए थे। आज इस परंपरा का निर्वाह करने के लिए हजारों लोग अपने घरों को मोमबत्तियों और दीयों से सजाते हैं और पटाखे फोड़ते हैं। इस से पहले लक्ष्मी और गणेश की पूजा करने का रिवाज है। 

दूसरा सब से बड़ा त्यौहार होली है, जिसको रंगों का त्यौहार कहा जाता है। आम तौर पर यह मार्च के महीने में पड़ता है। होली के दौरान लोग एक दूसरे के चेहरों पर रंग लगाते हैं और परिवार और दोस्तों पर पानी भरे गुब्बारे फेंकते हैं। यह एक आनंदोत्सव है, जिस में लोग होलिका जलाते हैं, जिस में प्रतीकात्मक रूप से बुराइयों को जला देते हैं, फिर लोग आपस में गले मिलते हैं और एक दूसरे को रंग लगाते हैं, जो एक दूसरे को अपने रंग में रंग लेने का प्रतीक है। त्यौहार के दौरान कई पकवान बनाए जाते हैं जो इस त्यौहार की पहचान हैं, जैसे गुझिया, दही वडा, ठंडाई और पकौड़ा इत्यादि। 

रमज़ान के पवित्र महीने के बाद अंत में पूरे देश में ईद मनाई जाती है। पूरे रमज़ान में मुस्लिम रोज़ा (उपवास) रखते हैं, और ईद में उत्सव मनाते हैं, असल में ईद उपवास तोड़ने का उत्सव है। इस दिन श्रद्धालु मस्जिद में नमाज़ अदा करते हैं और एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं। 
दिसंबर की 25 तारीख को जीसस क्राइस्ट के जन्मदिन के रूप में क्रिसमस मनाया जाता है, जो ईसाइयों का बड़ा त्यौहार है। क्रिसमस की शाम को देश के सभी गिरिजाघरों में प्रार्थना सभाएँ आयोजित की जाती हैं। दूसरे दिन उत्सव की शुरुआत होती है, लोग एक दूसरे के यहाँ जमा होते हैं और स्वादिष्ट केक तथा अन्य मज़ेदार पकवान खाते हैं। 

ओणम पूरे केरल प्रदेश में मनाया जाता है और यह मलयालियों का सब से लोकप्रिय त्यौहार है, जो 10 दिन तक चलता है। ओणम अथम के दिन से शुरू होता है और थिरु ओणम या थिरुवोनम (पवित्र ओणम का दिन) तक चलता है। जब केरल के लोग उत्सव की तैयारी करते हैं तो इस अनोखे त्यौहार में प्रदेश के रंग और संस्कृतियाँ उभर कर सामने आते हैं। इस त्यौहार के पहले दिन एक जुलूस निकाला जाता है जिस में हाथी, नौका दौड़ और चमकदार कपड़ों में सजे नर्तक और संगीतकार और कई दूसरे कलाकार शामिल होते हैं। 

रथयात्रा भारत के सब से महत्वपूर्ण हिन्दू त्यौहारों में से एक है। यह उत्सव पुरी में आयोजित किया जाता है और यह हिन्दू कैलेंडर के असाढ़ मास की द्वितीया को होता है जो अँग्रेजी महीने के जून या जुलाई महीने में पड़ता है। इस त्यौहार में मुख्यतः भगवान जगन्नाथ की पूजा की जाती है, जो भगवान विष्णु के एक अवतार हैं। इस त्यौहार में भगवान जगन्नाथ, भगवान बालभद्र और देवी सुभद्रा की मूर्तियों को एक सप्ताह के लिए उस मंदिर में ले जाया जाता है जो गर्मी के मौसम के लिए बनाया गया है। और इसी अवसर पर इन तीनों भगवानों की अलग अलग रथों में रथयात्रा निकाली जाती है। 

इन के अलावा पूरे देश में आनंद मनाने के लिए, वसंत का स्वागत करने के लिए, नई फसल के कटने पर और कई भगवानों तथा देवताओं को प्रसन्न करने के लिए कई और त्यौहार भी मनाए जाते हैं। इन में से कुछ सब से प्रतिष्ठित त्यौहार हैं, गुरूपर्व, जिस में गुरु नानक देव का जन्मदिन मनाया जाता है, जन्माष्टमी, जिस में भगवान कृष्ण का जन्मदिन मनाया जाता है, दुर्गा पूजा, रक्षा बंधन, बैसाखी इत्यादि। 

भारत के कोने कोने में पूरे साल कोई न कोई उत्सव चलता रहता है, और पूरे देश में कई त्यौहार और मेले होते हैं। इन में से कुछ उत्सवों का ज़िक्र यहाँ किया जा रहा है, जिन में ज़रूर शामिल होना चाहिए: 

जीवंतता और जोश के त्यौहार कोचीन कार्निवाल के दौरान कोच्चि शहर जगमगा उठता है। यह कार्निवाल जो दिसंबर के आखिरी दो सप्ताह के दौरान मनाया जाता है, इसमें कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, वदम वली (रस्साकशी), कलमवारा (रंगोली), बीच फुटबाल, तैराकी, मैरथॉन दौड़, साइकल दौड़, बुलेट दौड़, कायाकिंग, बॉक्सिंग, कबड्डी और बीच बाइक दौड़। रसिक स्वभाव के लोगों के लिए कला प्रदर्शनी, संगीत सभाएँ और अलंकृत रैलियों के भी बढ़िया अवसर होते हैं। आखिर में 31 दिसंबर  और 1 जनवरी के बीच गए साल को अलविदा कहने और नए साल का स्वागत करने के लिए पपानाइ का पुतला फूंका जाता है, जो इस कार्निवल का बहुत बड़ा आकर्षण है। 

मैसूर दसारा या मैसूर का दशहरा कर्नाटक के सब से प्रतिष्ठित त्योहारों में से एक है जो बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। दशहरे के इस त्यौहार का मैसूर महल से सदियों पुराना नाता रहा है। यह अक्टूबर या नवंबर में आता है और यह विगत 400 सालों से मनाया जा रहा है। यह 10 दिन का उत्सव होता है जिसके अंत में बहुत बड़ी यात्रा निकाली जाती है, जो मैसूर महल से शुरू हो कर बन्नीमंताप में खत्म होती है। कर्नाटक के राजकीय त्यौहार के नाम से जाना जाने वाले इस त्यौहार के दौरान मैसूर महल जगमगा उठता है। 

गोवा कार्निवल सिर्फ गोवा ही नहीं बल्कि पूरे देश के बेहतरीन त्यौहारों में से एक है। यह अनोखा उत्सव 18वीं शताब्दी से मनाया जा रहा है और इसकी शुरुआत गोवा के तत्कालीन पुर्तगाली शासकों ने की थी। तीन दिन के इस सुंदर महोत्सव में नृत्य, संगीत और खूब धूम धाम होती है। पूरे गोवा में फ्लोट के साथ रंग बिरंगे जुलूस निकाले जाते हैं। 

आगरा का ताज महोत्सव 10 दिन का वार्षिक समारोह होता है जो कला, शिल्प, संस्कृति और पाक कला का उत्सव होता है और यह ताज महल के पूर्वी दरवाजे के पास मौजूद शिल्पग्राम में मनाया जाता है। यह देश के विभिन्न भागों के कलाकारों को एक जगह एकत्र करता है और पूरे देश से आए हुए पर्यटकों के सामने उन की कला के प्रदर्शन और बिक्री का अवसर प्रदान करता है। शिल्प कलाकारी और खाने के अलावा इस महोत्सव में पर्यटकों को कई लोक परम्पराओं का अनुभव करने का अवसर भी प्राप्त होता है। ताज महोत्सव में देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोक संगीत और नृत्य प्रस्तुतियों का अनुभव किया जा सकता है। 

रण उत्सव एक आनंद उत्सव है, जो हर साल गुजरात के कच्छ के रण में आयोजित किया जाता है। यह एक जोशीला उत्सव है जो संगीत, नृत्य, कला-संस्कृति और साहसिक कारनामों से भरा रहता है। कहा जाता है कि इस उत्सव के दौरान पूरे चाँद की रोशनी में भुज की प्राचीन धरती की सुंदरता और उभर आती है। गोल्फ कार्ट, एटीवी की सवारी, पेंट बॉल, ऊँट यात्रा, गेम कार्ट यात्रा, पैरामोटरिंग और ऊँट तथा घोड़े की सवारी इस उत्सव का एक हिस्सा होती हैं। वह लोग जो शांति और विश्राम की तलाश में हैं, उत्सव के दौरान आयोजित किए जाने वाले ध्यान और योग के विभिन्न सत्रों में भाग ले सकते हैं।