हरे भरे और घने पहाड़ी जंगलों के बीच विशाल काली चट्टानों से बहती दूधिये रंग की येेे खूबसूरत धाराएं, इस आकर्षक बोगोता झरने को वरंगल के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक बनाती है। यहां सिर्फ ट्रेकिंग से ही जाया जा सकता है, जो यहां की यात्रा को बेहद साहसिक और रोमांचकारी बनाता है। मुख्य रूप से तेलंगाना के नियाग्रा के रूप में प्रचलित ये राज्य का दूसरा सबसे ऊंचा झरना है। 30 फीट की ऊंचाई से यह जलप्रपात समानांतर धाराओं मे गिरता है और इनका पानी एक विशाल कुंड में इकट्ठा हो जाता है। पर्यटक इस पानी में तैर सकते हैं। मानसून में ये जलप्रपात और भी सुंदर लगते हैं, और आसपास के क्षेत्र से भारी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। जलप्रपात के समीप वॉचटावर से यहां के जन जातीय जीवन का सुंदर नज़ारा देखा जा सकता है। तेलंगाना के भूपालपल्ली जिला में स्थित यह जलप्रपात चिकुपल्ली गांव के समीप है, जो वरंगल से 140 किलोमीटर दूर है। जलप्रपात से कुछ दूरी पर श्री भोगाद्री लक्ष्मी नरसिंहा स्वामी का एक मंदिर है। पर्यटकों को यह मंदिर जलप्रपात के ऊपरी भाग पर ले जाता है। यहाँ आने का सबसे उपयुक्त समय जून और नवंबर के बीच का माना जाता है। जलप्रपात सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।

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