विशाखापट्नम में आर.के. बीच पर भारत की सबसे प्रसिद्ध पनडुब्बियों में से एक एनएस कुरसुरा पनडुब्बी को रखा गया है। एनएस कुरसुरा पनडुब्बी को बाद में पनडुब्बी संग्रहालय के रूप में बदल दिया गया। यह एशिया की पहली और विश्व की दूसरी पनडुब्बी है, जिसे संग्रहालय में परिवर्तित किया गया है। संग्रहालय में पनडुब्बी के विभिन्न घटक जैसे-सोनार रूम, रडार रूम, कंट्रोल रूम और युद्ध़ में उपयोग होने वाले विविध शस्त्र प्रदर्शित किए जाते हैं। इस तरह कई कलाकृतियों, तस्वीरों, पटकथाओं आदि से आप समुद्रतटीय उद्गम को जान सकते हैं। पर्यटक इस प्रदर्शनी के माध्यम से पनडुब्बी के जीवन और उनके भीतर की समस्याओं को जान सकते हैं।

कुरसुरा भारतीयों के दिल में बहुत महत्व रखती है, क्योंकि वह भारतीय नौसेना की पनडुब्बी शाखा की आधारशिला थी। इसने 1971 के भारत-पाक युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस पनडुब्बी ने यात्राओं और फ्लेगशिप शॉइंग मिशन के माध्यम से अन्य देशों में सद्भाव और सद्गुण फैलाने में अग्रणी भूमिका निभाई है। कुरसुरा ने 31 वर्षों तक देश की सेवा कर और लगभग सभी प्रकार के नौसैनिक अभियानों में भाग लेते हुए 73,500 समुद्री मील की दूरी तय की है। फरवरी 2001 में इसका विघटन कर दिया गया। संग्रहालय का उद्घाटन 9 अगस्त, 2002 को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा किया गया था, इसको 24 अगस्त, 2002 को जनता के लिए खोल दिया गया।

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