तिरुवन्नामलाई पहाड़ियों की तलहटी में, 25 एकड़ में फैला, अरुणाचलेश्वर मंदिर, एक अद्भुत वास्तुकला के साथ एक भव्य संरचना है। इस मंदिर में चार द्वार हैं, जिन्हें गोपुरम् कहा जाता है। इनमें से प्रत्येक में मंडपम, मंदिर और बाड़े हैं, जिन्हें नक्काशीदार मूर्तियों और स्तंभों से सजाया गया है। यह भारत के सबसे बड़े मंदिर टॉवरों में से एक है। यह टॉवर 11 मंजिले का है। इसके पूर्वी टॉवर की ऊंचाई 66 मीटर है। यह मंदिर भगवान शिव का है। इसे अन्नामलाईयार मंदिर भी कहा जाता है। यहां देश के सभी हिस्सों से बड़ी संख्या में भक्तगण आते हैं। वास्तुकला की पारंपरिक द्रविड़ शैली में निर्मित इस मंदिर को दुनिया का आठवां सबसे बड़ा हिंदू मंदिर माना जाता है। मंदिर परिसर में कई हॉल हैं और सबसे लोकप्रिय एक हजार-स्तंभ वाला हॉल है, जिसका निर्माण विजयनगर काल (1336-1646) के दौरान किया गया था। मंदिर पंचभूता स्तम्भों में से एक है, जो पांच प्राकृतिक तत्वों की अभिव्यक्ति को समर्पित है। किंवदंती है कि इस मंदिर में भगवान ने स्वयं को अग्नि तत्व के रूप में प्रकट किया था।

अरुणाचलेश्वर मंदिर में आठ लिंगम हैं, जिन्हें अष्टलिंगम कहा जाता है, जो मंदिर के अलग-अलग दिशाओं में स्थित हैं। इन लिंगों के नाम इंद्रलिंगम, अग्नि लिंगम, यमलिंगम, निरूथिलिंगम, वरुणलिंगम, वायुलिंगम, कुबेरलिंगम और ईशानलिंगम हैं। प्रत्येक लिंगम पृथ्वी की अलग-अलग दिशाओं को दर्शाता है और माना जाता है कि यह उन भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए है, जो अत्यधिक फल देने वाला गिरिवलम नामक धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। मंदिर रोजाना सुबह 5.30 से रात 9 बजे तक खुला रहता है।

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