वरुथा कोज़ी

एक प्रसिद्ध स्थानीय व्यंजन,  वरुथा कोज़ी सिरका, मिर्च, प्याज और धनिया पत्तियों का एक संयोजन है और इसे केले के पत्ते पर परोसा जाता है। यह आमतौर पर एक अर्ध- गाढ़ी ग्रेवी होती है, और परंपरागत रसम-चावल के साथ इडली, डोसा और अन्य नाश्ते के साथ परोसी जाती है। परंपरागत रूप से, यह काफी मसालेदार होता है, और इसलिए जायके को संतुलित करने के लिए एक कम मसालेदार व्यंजन के साथ इसे खाया जाता है।कैसे पहुंचेंहवाई मार्ग द्वाराः तिरुवनंतपुरम में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जहां से भारतीय शहरों और विदेशों के लिए उड़ानें हैं।रेल मार्ग द्वाराः यह शहर एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है, जो अधिकांश भारतीय शहरों से जुड़ा हुआ है।सड़क मार्ग द्वाराः यह भारत के शहरों और कस्बों के साथ अच्छी मोटर योग्य सड़कों और राजमार्गों से जुड़ा हुआ है।

वरुथा कोज़ी

सद्या

ओणम और शादियों के अवसर पर परोसे जाने वाली सद्या एक प्रसिद्ध शाकाहारी दावत है जिसे आमतौर पर दोपहर के भोजन में खाया जाता है। इसमें 28 व्यंजन शामिल किए जा सकते हैं। पारंपरिक रूप से इसे केले के पत्ते पर परोसा जाता है। सद्या में,  आधा उबला हुआ गुलाबी चावल, खिचड़ी (दाल और चावल का मिश्रण), परपी, करी, दलम, पिलीसेरी, साथ ही साथ कालान, एवियल, थोरन, ओलान, पच्ची, शामिल होते हैं।

साथ ही पिचड़ी, कुट्टुकरी, एरीसेरी, आम का अचार, पुलिनजी, नारंगा अचार (चूने का अचार), और पापड़म, केला चिप्स, शार्करा अपर, केला, सादा दही और छाछ भी होते हैं।पायसम, केरल की पारंपरिक मिठाई, भोजन के अंत में परोसी जाती है। प्रथमन के रूप में जाना जाने वाली एक और मिठाई भी परोसी जा सकती है। यह मीठा पकवान नारियल के दूध और गुड़ के साथ बनाया जाता है। भोजन की सूची हालांकि यहां समाप्त नहीं होती है। सबसे आखिर में चावल और रसम (इमली से तैयार पेय) परोसा जाता है जो मेटाबॉलिज्म को ठीक करते हुए पाचन में सहायक होता है। परंपरा के अनुसार, केले के पत्ते का छोर अतिथि की ओर होना चाहिए  और चावल उसके निचले आधे हिस्से में परोसा जाता है।

सद्या

कदला करी के साथ पुट्टू

तिरुवनंतपुरम शहर में सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में से एक, यह उबले हुए चावल से बनता है और नारियल के टुकड़ों से सजाया जाता और काले छोलों के साथ परोसा जाता है। इसे मसालेदार नारियल की ग्रेवी में पकाया जाता है और इसके ऊपर तेल में छौंकी हुई लाल मिर्च और सरसों को डाल खाया जाता है। 

कदला करी के साथ पुट्टू

मालाबार परांठा

मालाबार परांठा

इडियाप्पम

आटा, पानी और नमक का एक संयोजन, इसे आमतौर पर गर्म अंडा करी के साथ परोसा जाता है। चावल के आटे को नूडल्स में मिलाया जाता है और नरम, हल्के स्वाद वाले लच्छे बनाने के लिए उबाला जाता है। इसे मसालेदार करी और स्ट्यू के साथ खाया जाता है। इसे मलेशिया में "पुटू मायाम" और इंडोनेशिया में "पुटू मायांग" के रूप में जाना जाता है।

यह एक लोकप्रिय नाश्ता है जिसे कभी-कभी नारियल की चटनी के साथ भी परोसा जाता है।मालाबार परांठाः परतदार, खस्ता और मुलायम, इसी तरह एक मालाबार परांठे को वर्णित किया जा सकता है। यह आमतौर पर शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के व्यंजनों के साथ खाया जाता है, और उत्तर भारतीय "लच्छा पराठा", या मलेशियाई "रोटी कैनाई" का एक प्रकार है। यह खमीरी रोटी आमतौर पर चिकन चेट्टीनाड जैसी स्वादिष्ट करी में  और अन्य मीठे भेजन में डुबोकर खाया जाता है ताकि इसका मसाला ज्यादा न लगे। इसीलिए इसे इतना कुरकुरा भी बनाया जाता है, ताकि ज्यादा मसाला न महसूस हो।तिरुवनंतपुरम में, आपको अंडा करी के साथ परांठा बेचने वाले स्टॉल बहुत मिलेंगे - यह व्यंजन स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच एक इंस्टेंट स्ट्रीट स्नैक के रूप में लोकप्रिय है। इसे तैयार करने के लिए, मैदे को तेल, घी और पानी और यहां तक कि अंडे के साथ गूंधा जाता है। फिर आटे को पतली परतों में बेल कर उसे रोल किया जाता है और फिर दुबारा बेल कर हल्के से तला जाता है। ऐसा कहा जाता है कि परांठे को भारतीय मुसलमानों द्वारा मलेशिया से लाया गया था, और बाद में समय के साथ अन्य पड़ोसी राज्यों में भी यह खाया जाने लगा। 

इडियाप्पम

मछली करी

नारियल और कोकोनम के विभिन्न स्वाद तिरुवनंतपुरम के खाने को विशेष बनाते हैं। केरल मीन (मछली) करी आमतौर पर कोड़मपुली, एक प्रकार की मालाबार इमली,  जिसे पानी में भिगोया जाता है और पकवान में एक प्रकार की धूनी शोरबा मिलाकर तैयार की जाती है। इस रेसिपी में दक्षिण भारतीय खाने में उपयोग होने वाली चीजें जैसे कि करी पत्ता, सरसों, और हरी मिर्च डाली जाती है। इस मछली करी को किसी भी चीज के साथ खाया जा सकता है। 

मछली करी