अरब सागर और पश्चिमी घाटों वाले, यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल, केरल की खूबसूरत राज्य की राजधानी, तिरुवनंतपुरम, भारत के दक्षिणी सिरे को लगभग छूता है। बैकवाटर्स, समुद्र तटों और कई सुंदर झरनों और झीलों से युक्त यह शहर अपने प्राकृतिक आकर्षण की वजह से एक अलग ही महत्व रखता है। इसकी शांति, तनावमुक्त रहते हुए, आराम करने का वातावरण, यह सब मिलकर तिरुवनंतपुरम को स्पा और वेलनेस रिसॉर्ट् का केंद्र बनाते हैं। ये रिसॉर्ट पूर्ण विश्राम विषहरण और आयुर्वेद और योग सुविधाएं प्रदान करते हैं।

अधिक आराम और एक आनंद के अनुभव को प्राप्त करने के लिए, पर्यटक इन रिसॉर्ट् में रह सकते हैं और एक सेहत को ठीक करने वाले उपचार का आनंद ले सकते हैं, जो जैविक भोजन, चिकित्सीय मालिश, ध्यान और प्राकृतिक उपचारों के साथ उपलब्ध हैं।यह शहर राज्य का सांस्कृतिक केंद्र भी है और कथकली, मोहिनीअट्टम, कूडियाट्टम और केरल के अन्य नृत्य रूपों के लिए समर्पित कलाओं को प्रश्रय देता है। तिरुवनंतपुरम में भी बड़े उत्साह के साथ त्येहार मनाए जाते हैं, विशेष रूप से ओणम (फसल उत्सव), जिसमें स्वादिष्ट भोजन, बैकवाटर पर प्रसिद्ध नौका दौड़ और एक भव्य परेड आयोजित की जाती है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। राज्य की विविध संस्कृति इसके व्यंजनों में उपयुक्त ढंग से परिलक्षित होती है, जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ जीवंतता से परिपूर्ण है। 28 व्यंजनों वाले ओणम सद्या से लेकर मुंह में पानी लाने वाले मालाबार परांठा तक, शहर की खाद्य संस्कृति किसी अविस्मरणीय अनुभव से कम नहीं है। देश के सबसे पुराने शहरों में से एक, तिरुवनंतपुरम को विरासत स्मारकों की एक समृद्ध विरासत से सम्मानित किया गया है, विभिन्न शासकों, आध्यात्मिक आश्चर्यों और सांस्कृतिक रत्नों के तहत विकसित शानदार वास्तुकला। इसका औपनिवेशिक नाम 'त्रिवेंद्रम' अभी भी लोकप्रिय रूप से उपयोग किया जाता है। सात पहाड़ियों पर निर्मित, इसका नाम "थिरु अनंत पुरम", या पवित्र अनंत नगर के शब्दों की एक परिणति है, और अनंत के ऊपर रखा गया है। अनंत यानी, ब्रह्मांडीय सर्प, जिसके एक हजार सिर हैं, जिनके कुंडल पर भगवान विष्णु लेटे हैं। शहर का उल्लेख रोमन और युनानी साहित्य में भी मिलता है। किंवदंती है कि 'देवता की भूमि' (केरल) बनाने के लिए ऋषि परशुराम ने समुद्र देव वरुण से केरल छीन लिया था।