तिरुवरुर शहर को कर्नाटक संगीत के संगीतकार संत त्यागराज के जन्मस्थान के रूप में जाना जाता है, वे संगीत त्रिमूर्ति के सदस्यों में से एक थे। यहां का मुख्य आकर्षण त्यागराज स्वामी मंदिर है, जो कि दक्षिण भारत का सबसे बड़ा मंदिर है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर शिलालेखों और मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। ये शिलालेख और मूर्तियां राजा मनु नीति चोलन की कहानी बताते हैं, जिसके अनुसार राजा मनु नीति ने अपने ही बेटे को रथ के पहियों के नीचे कुचलने का आदेशस जारी किया था। कहा जाता है कि उनके पुत्र ने लापरवाही के चलते एक बछड़े को रथ से कुचल कर मार दिया था। तब भगवान शिव ने इस पर हस्तक्षेप किया और राजा मनु के पुत्र को बचाया और बछड़े को भी पुनर्जीवित किया। मंदिर हर साल मार्च-अप्रैल के महीने में रथ महोत्सव का आयोजन करता है। यह उत्सव अत्यंत भव्य और विशाल उत्सव है, इसे अवश्य देखना चाहिए। मंदिर के समीप 25 एकड़ का एक कमलालयम टैंक है और सन् 1997 से राज्य पर्यटन विभाग यहां नौका विहार सेवाएं प्रदान कर रहा है। इसके अलावा यहां थिरुवेझिमलाई, थिरुप्पुरामम, तिरुमिचुर, श्रीवांज्यम, तिलिविलगाम और थिरुक्क्नमंगई जैसे कुछ अन्य मंदिर हैं, जो देखने लायक हैं।

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