इतिहास के पन्नों में तंजावुर के महल का अपना एक अलग स्थान है, यह महल तमिल और मराठा की विरासतों के संगम को दर्शाता है। यह महल बृहदेश्वर मंदिर से केवल 1 किलो. मी. की दूरी पर स्थित है; चाहे नायक वंश हो या मराठा साम्राज्य दोनों के लिए ही यह महल काम-काज का प्रमुख केंद्र था। 1550 ई. में नायक वंश द्वारा, महल के चारों ओर विशाल और शानदार दीवारों का निर्माण करवाया गया। इन दीवारों का मराठा काल (1676-1855) के दौरान और अधिक विस्तार किया गया, जिस कारण इसे मराठा महल के नाम से भी जाना जाता है। महल में विशाल गलियारों और बारीक रुप से बनाए गए दरबारों के साथ-साथ निगरानी के लिए बड़े-बड़े टावर, सुसज्जित कमरे और फ्रेस्को के माध्यम से चित्रित की गई दीवारें और छतें भी मौजूद हैं। महल की दीवारों पर किया गया प्लास्टर का काम देखने लायक है। यहां की सुंदर बालकनियों से शहर का मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है; हालांकि ये कभी-कभी ही खुलतीं हैं। तंजावुर महल में शाही परिवार का एक पवित्र मंदिर भी है, जो भगवान चंद्र मौलेश्वर को समर्पित है। यहां की वास्तुकला इसे दर्शनीय बनाती है, तथा महल की नक्काशी, उत्कीर्णन और अलंकृत बालकनियां किसी को भी मंत्रमुग्ध कर देगी। यहां आने वाले लोगों को आर्सेनल टॉवर, बेल टॉवर, दरबार हॉल और संगीत महल को विशेष रूप से देखना ही चाहिए। यहां आने वाले पर्यटक आर्ट गैलरी और सरस्वती महल लाइब्रेरी का भी दौरा कर सकते हैं, जो इस परिसर के अंदर ही मौजूद हैं।

अन्य आकर्षण