तंजावुर पैलेस के एक अभिन्न हिस्से के तौर पर, सरस्वती महल पुस्तकालय ज्ञान का खजाना है। यह एशिया के सबसे पुराने पुस्तकालयों में से एक है। यह दुनिया में बचे हुए उन मध्यकालीन पुस्तकालयों में से एक है, जहां बेहद दुर्लभ और अमूल्य संग्रह संग्रहित हैं। यहां पर लगभग 49,000 खंड संरक्षित हैं, जिनमें तीसरी-चौथी शताब्दी में बने ताड़ के पत्ते की पांडुलिपियां भी शामिल हैं। यहां कोई भी तमिल, संस्कृत और अन्य दक्षिण भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण भंडार को देख और पढ़ सकता है। आप इस पुस्तकालय में मद्रास पंचांग (1807), डॉ. सैमुअल जॉनसन के द्वारा सन् 1784 में बनाया गया शब्दकोश, सन् 1791 के दौरान एम्स्टर्डम में छपी एक चित्रमय बाइबिल जैसे खंड आपको देखने को मिल सकते हैं। यहां की संपूर्ण संस्कृति और विरासत का वर्गीकरण कर, इसी परिसर के एक छोटे से संग्रहालय में नुमाइश के तौर पर रखा गया है। कला, संस्कृति और साहित्य के सभी पहलुओं की पांडुलिपियां, पुस्तकें, नक्शे और चित्र यहां आसानी से मिल जाते हैं। इस पुस्तकालय की स्थापना 16 वीं शताब्दी में नायक वंश के राजाओं द्वारा की गई थी।

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