शहर के बाहरी इलाके में स्थित दारासुरम नगर एरावतेश्वर मंदिर के लिए जाना जाता है, जो कि यूनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व धरोहर है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में चोल वंश के महान शासक राजराज द्वितीय ने करवाया था। मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति के अलावा देवी पार्वती, मृत्यु के देवता यम, भगवान सुब्रमण्य और देवी सरस्वती की भी मूर्तियां हैं। यहां पर्यटकों को सप्तमातृकाएं और विभिन्न शैव भक्तों की मूर्तियां भी देखने को मिलती हैं। मुख्य मंदिर के ठीक सामने अलंकार का मंडप है। स्तंभावली वाले इन मंडपों में किनारों पर चबूतरे हैं, और प्रत्येक चबूतरों में शैव परंपराओं में तराशे गए चित्र मौजूद है। मंडप के दक्षिणी छोर पर मंडप से जुड़े पत्थर के बड़े-बड़े पहिए और घोड़ों की मूर्तियां हैं, जिससे मंडप, रथ के रूप में दिखता है। 14वीं शताब्दी के दौरान, मंदिर की वास्तुशिल्प में ईंट-पत्थर का इस्तेमाल कर बदलाव किया गया, जो तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर में इस्तेमाल किए गए प्रारूप से मिलता-जुलता है।

अन्य आकर्षण