दिरांग गांव अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी भाग में एक ऐसा स्थान है, जहां रास्ते में पर्यटक रात भर ठहर सकते हैं। यह गांव असम के जोरहाट और तवांग के ठीक बीचोबीच, नैसर्गिक कमेंग नदी के तट पर स्थित है। यह अक्षुण स्वार्गिक गांव का मौसम, अधिक ऊंचाई न होने के कारण, सुहावना रहता है। यह छोटा सा गांव, इस क्षेेत्र की सभी विशिष्ट गुणों को संजोये हुए है, चाहे वह परिदृश्य हो, संस्कृति या भोजन। यहां की यात्रा से पर्यटक, अरुणाचल प्रदेश की सभी बेहतरीन चीजों से परिचित हो सकते हैं। यहां के सबसे पुराने मठों में से एक है, खस्तुंग गोम्पा मठ, जो गांव से थोड़ी चढ़ाई पर स्थित है। गांव की पहाड़ी के नीचे, हिमालय झंडों से सज्जित एक फुट ब्रिज के माध्यम से, तेज तरंग वाली दुरंग नदी तक पहुँचा जा सकता है। यहां, भेड़-बकरियों को चरते हुए देखा जा सकता है, और कभी-कभी पर्यटक यह पायेंगे कि गांव के स्थानीय लोगों उन्हें अपने घरों में चाय के लिये आमंत्रित कर रहें हैं। यह गांव अपनी मेजबानी के लिये प्रसिद्ध है। गांव में एक बाज़ार है, जहां से आप स्थानीय हस्तशिल्प और कलाकृतियों के उम्दा स्मृति चिन्ह खरीद सकते हैं। इस पहाड़ी की चोटी पर दिरांग जॉन्ग किला स्थित है, जो भूटानी पाषाण वास्तुकला की शैली में निर्मित है। वहां तक चट्टानो से कटे, पत्थर की बनी लम्बी सीड़ियों से चढ़ कर पहुंचा जा सकता है। इस किले का डिजाइन कुछ स्थानीय तकनीकियों का इस्तेमाल करके किया गया है, ताकि इसके निवासियों को कड़ाके की सर्दी से बचाया जा सके। इस गांव का एक और रोचक आकर्षण, गर्म पानी का एक सोता है, जिसे यहां के स्थानीय लोग पवित्र मानते हैं।

अन्य आकर्षण