औपनिवेशिक युग का आकर्षण और ढलान वाले हरे-भरे नैसर्गिक पहाड़ों के नज़ारे मिलकर मेघालय की राजधानी शिलॉन्‍ग शहर को जीवंत बना देते हैं। देवदार के पेड़, नदियां, झरने और हरे-भरे उद्यान इसकी खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं। समुद्र तल से कोई 1,525 मीटर ऊपर पहाड़ियों से घिरे एक पठार पर स्थित सुरम्य शिलॉन्‍ग, छुट्टी मनाने के लिहाज़ से साल भर का एक खुशनुमा गंतव्य है। उत्तर में इसका पठार उमियम, उत्तर पश्चिम में डिएंगी हिल्स और उत्तर पूर्व में असम घाटी की पहाड़ियों से घिरा हुआ है।

भूगोल और हरियाली के मामले में स्कॉटिश हाइलैंड्स के समान होने के चलते शिलॉन्‍ग को अक्सर 'स्कॉटलैंड ऑफ द ईस्ट' कहा जाता है। ऊंचे चीड़ों की छतरियों और अनानास की झाड़ियों के अलावा, शहर में ट्रेकिंग ट्रेल्स और प्राकृतिक पार्क भी खूब हैं। शहर को दुनिया के नक्शे पर जगह दिलाने वाला प्राकृतिक आश्चर्य है, यहां के जीवित जड़-मूल पुल। जीवित और लगातार बढ़ते और एक समय में 50 लोगों को ले जाने में सक्षम, इनका अनुभव ही निराला है।

शिलॉन्‍ग सरल लेकिन अविस्मरणीय अनुभवों का शहर है। ट्रेकिंग, कैंपिंग, रिवर राफ्टिंग, रैपलिंग, कायॅकिंग (नौका विहार), फिशिंग और केविंग (गुफा विहार) जैसी रोमांचकारी गतिविधियों का मज़ा लेने के साथ-साथ ऊंचाई पर बनी तरुवाटिकाओं में ठहर सकने के चलते, शिलॉन्ग आगंतुकों के दिलों को लुभा लेता है। इसका अनूठापन और शांति, क्रिसमस के समय जीवंतता और उत्साही उत्सव का रूप ले लेेते हैं। पृष्ठभूमि में ईसाई संगीत की मधुर धुनों में लिपटा और बर्फ से लदा शहर, किसी सुरम्य पोस्टकार्ड जैसा दिखता है।खासी, जैन्तिया और गारो जनजातियों के गृहनगर इस शहर में एक समृद्ध आदिवासी विरासत भी है, जिसकी झलकियां गलियों में टहलते टहलते देखी जा सकती हैं। इसके अलावा, यह नगर अपने जवां नाइटलाइफ़ और उस अद्भुत रॉक संगीत के लिए जाना जाता है, जो लगभग हर लाउंज और नाइट क्‍लब में पेश किया जाता है।

शिलॉन्‍ग वर्ष 1972 तक ब्रिटिश-निर्मित असम की राजधानी था। किंवदंती है कि इसका नाम एक शक्तिशाली देवता, 'यू श्लॉन्ग' से लिया गया था। मान्‍यता थी कि यह देवता 'शिलॉन्‍ग शिखर' पर निवास करते थे, और शहर पर अपनी नज़र रखते और उसकी रखवाली करते थे। देर 19वीं शताब्दी में खासी और जैन्तिया पहाड़ियों को अंग्रेज़ों द्वारा एक नये सिविल स्टेशन का दर्जा दिये जाने के चलते, शिलॉन्‍ग कई सालों तक पूर्वी बंगाल और असम की ग्रीष्मकालीन राजधानी बना रहा। वर्ष 1897 में भूकंप से पूरी तरह से ढह जाने और आगे चलकर पुनरनिर्मित होने के बाद, शिलॉन्‍ग वर्ष 1972 से मेघालय की राजधानी बना।