क्षेत्र के सबसे बेहतरीन जलाशयों में से एक सेठानी का जोहरा, नीलगाय सहित कई पक्षियों और पशुओं को आकर्षित करता है। नीलगाय को यदा-कदा इसके आस-पास देखा जा सकता है। यहां से, सैलानियों को डूबते सूरज के सुरम्य दृश्य देखने को मिल सकते हैं। इस जलाशय के जल में सूरज की रोशनी अपनी तमाम रंगतों में झलकती है, उधर आसमान नारंगी रंग से सराबोर दिखता है। जलाशय की बनावट ऐसी है कि इसमें अनेक मेहराबी प्रवेश मार्ग हैं, जो सीढि़यों के माध्यम से जलाशय की ओर ले जाते हैं। हालांकि यह अब खंडहर हो चला है, लेकिन अच्छी तरह से संरक्षित रहने के चलते इसके सुनहरे समय में इसके ढांचे की भव्यता की कल्पना तो की ही जा सकती है। जलाशय वर्ष 1899 में भगवान दास बागला की विधवा द्वारा अकाल राहत परियोजनाओं के तहत व्यापारियों के प्रदत्त वित्त से बनवाया गया था।

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