18वीं शताब्दी में सूरत सिंह द्वारा निर्मित, रतनगढ़ किला अपने भव्य प्रवेश द्वारों, स्मारकों और घंटाघर के लिए जाना जाता है। जनजातीय गांवों और मनमोहक भू-दृश्‍यों से घिरा यह किला एक आकर्षक पर्यटन स्थल है। रतनगढ़ किले का नाम सूरत सिंह के बेटे महाराजा रतन सिंह के नाम पर रखा गया था। कहा जाता है कि वर्ष 1815 और वर्ष 1816 में सीकर के महारावल लक्ष्मण सिंह के समर्थन से चुरु के राजा ठाकुर पृथ्वी सिंह ने इस पर दो बार हमला किया था। किले की रक्षा करते करते इसके रखवाले लालशाह सैयद और पुरोहित जेठमल मारे गये थे। किले के शिलालेखों में इसका उल्‍लेख मिलता है। शाही किला शहर के बीचो-बीच स्थित है। शहर के चारों ओर चार द्वार और परकोटे बने हैं। यह जयपुर शहर से लगभग 200 किमी की दूरी पर स्थित है।

 

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