राजसी सहयाद्रि पर्वत श्रृंखला में बसा, पुणे का हलचल और रौनक भरा  शहर, महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा और भारत का आठवां सबसे बड़ा महानगर है। यह अपनी प्रभावशाली वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध, यह मराठाओं की विरासत है जो तत्कालीन शासक थे। भव्य किलों, महलनुमा इमारतों (वाड़ों), प्राचीन गुफाओं और मंदिरों से युक्त, यह शहर आध्यात्मिकता और इतिहास में डूबा हुआ है। इस शहर से जुड़ी श्रद्धा का अनुभव कई अष्टविनायक (भगवान गणेश) मंदिरों में किया जा सकता है जो शहर में बहुतायत में हैं। विविध व्यंजनों के लिए मशहूर, पुणे व्यंजनों का खजाना है। एमजी रोड, कोरेगांव पार्क, कल्याणी नगर और विमान नगर, शायद शहर के सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्र हैं और स्ट्रीट फूड से लेकर सुस्वादों महंगे भोजन तक सब कुछ प्रदान करते हैं।

पुणे में जर्मन और अन्य यूरोपीय नागरिकों की आबादी देखी जा सकती है, जो स्थानीय स्कूलों और आश्रमों में स्वयंसेवकों के रूप में काम करने के लिए यहीं बस गए हैं। इसके कारण शहर में भोजन के प्रकार और उसकी प्रस्तुति की शैली में भी उल्लेखनीय बदलाव आया है। रेस्तरां और शराबखानों में अब हर तरह के लोग जाते हैं। पिज़्ज़ेरिया, ग्रीक रेस्टो-बार, कॉन्टिनेंटल कैफे, मांसाहारी भोजन परोसने वाले रेस्तरां और पेस्ट्री की दुकानें पुणे में हैं, और हर दिन ऐसे रेस्तरां व दुकानें खुलती जा रही हैं। 

कई पार्कों और मनोरंजन के क्षेत्रों के साथ एक हरा-भरा शहर, पुणे, विशेष रूप से सेवानिवृत्त लोगों की पसंदीदा जगह  जो बड़े, अधिक शोरगुल से भरे शहरों के दूर यहां के शांत परिवेश में रहने के लिए आते हैं। यहां का सुंदर मौसम, सुलभ सुविधाएं और भीड़ रहित सड़कों ने इसे 'पेंशनभोगियों का स्वर्ग' बना दिया है। इसके अलावा, इसका एक समृद्ध इतिहास है जिसे मराठा साम्राज्य ने लिखा था। वास्तव में, पेशवा शासन के तहत, यह राजधानी थी। 1817 में, अंग्रेजों ने इसे बॉम्बे प्रेसीडेंसी की मानसून की राजधानी बनाया। अब आर्थिक और औद्योगिक रूप से तेजी से तरक्की करता यह शहर, देश का एक महत्त्वपूर्ण सूचना तकनीक का केंद्र भी बन गया है। इसके अलावा, मोटर वाहन और इंजीनियरिंग उद्योग पुणे में बड़े पैमाने पर पनप रहे हैं। कई शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों के यहां होने की वजह से शहर को पूर्व के ऑक्सफोर्ड का खिताब भी मिल गया है। पुणे में कई ऐसे संग्रहालय हैं जिनमें दुर्लभ कलाकृतियां संग्रहित हैं। 

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