मखाना

बिहार में मखाना या फॉक्स नट्स की खेती की जाती है। इस का उपयोग स्नैक्स और डेसर्ट में किया जाता है। इसे नमक के साथ तलकर साबूत भी खाया जा सकता है।

मखाना

सत्तू

भुने हुए चने के आटे को सत्तू कहते हैं। यह एक बहुत ही लोकप्रिय स्थानीय सामग्री हैए जिसका उपयोग कई मीठा और नमकीन व्यंजनों में किया जाता है। गर्मियों के दौरान सत्तू और नींबू के रस से बना नमकीन शर्बत बहुत दिलकश होता है।

सत्तू

कढ़ी बढ़ी

बेसन के पकौड़े वाली कढ़ी को कढ़ी.बढ़ी कहा जाता हैए जिसे खट्टे और मसालेदार दही में पकाया जाता है। चावल के साथ इसका स्वाद बेहतरीन लगता है।

कढ़ी बढ़ी

रसिया

रसिया चावल से बना ऐसा मीठा व्यंजन हैए जिसे गाढ़े दूध में उबालकर बनाया जाता है। इसे मखाने के साथ बनाया जाता है जिसे मखाने.की.खीर कहा जाता है।

रसिया

खुरमा

खुरमा या शकरपारा एक मीठा व्यंजन है जिसे मैदे को तलकर उसे चासनी में डुबोकर बनाया जाता है। चासनी को सोखने के बाद शकरपारा करारे हो जाते हैं और इस पर चासनी की परत आ जाती है। इसका अन्य रूप जिसे लकतो कहा जाता हैए इसे चावल के आटे और गुड़ से बनाया जाता है।

खुरमा

केसर पेड़ा

केसर पेड़ा पटना में उपलब्ध एक लोकप्रिय मिठाई है। यह खोआए चीनीए केसर और इलायची के साथ बनाया जाता हैए और आमतौर पर छोटे गोल आकृतियों में परोसा जाता है।

केसर पेड़ा

केसर पेड़ा

केसर पेड़ा पटना में उपलब्ध एक लोकप्रिय मिठाई है। यह खोआए चीनीए केसर और इलायची के साथ बनाया जाता हैए और आमतौर पर छोटे गोल आकृतियों में परोसा जाता है।

केसर पेड़ा

नैवेद्यम

नैवेद्यम एक प्रसाद हैए जो आमतौर पर भगवान हनुमान को समर्पित मंदिरों में वितरित किया जाता है। ये बेसनए चीनीए काजूए किशमिशए इलायची और केसर से बने लड्डू या मीठे गोले की तरह होते हैं जिन्हें घी में पकाया जाता है।

नैवेद्यम

ठेकुआ

ठेकुआ को खजूरिया भी कहा जाता है। इसे गेहूं के आटे और गुड़ के मिश्रण को तलकर तैयार किया जाता है। इसे अलग तरीके से बनाने के लिए चावल के आटे का प्रयोग किया जाता है। यह अक्सर छठ के लोकप्रिय त्यौहार के दौरान सूर्य देव को प्रसाद चढ़ाने के लिए बनाया जाता है।

ठेकुआ

पडकिया

पडकिया को चन्द्रकला या गुझिया कहा जाता है। इसे बनाने के लिए मैदे में खोयाए नारियल का बुरादाए इलायची पाउडर और सूखे मेवों से भरा जाता है। फिर इसे तल कर चासनी में डाल दिया जाता है। यह होली और दीवाली जैसे त्यौहारों के दौरान परोसी जाने वाली एक लोकप्रिय मिठाई है।

पडकिया

कबाब

पटना मांसाहारी लोगों के लिए उपयुक्त स्थान है। यहां कई रेस्टोरेंट और रेहड़ी वाले हैंय जो हल्के मसाले में बना हुआए लज़ीज नरम मटन और रेशमी कबाब परोसते हैं। यह व्यंजन कीन कबाब से मिलता जुलता हैए इसे 11 वीं और 12 वीं शताब्दी के दौरान तुर्की सैनिकों द्वारा पसंद किया जाता था। हालांकि इसे गंवईं ढंग से ही बनाया जाता हैए पर जब स्वाद की बात आती है तो यह अवधी शासन के शाही संस्करणों से होड़ ले सकता है।

कबाब

मनेर लाडू

मनेर लाडू एक लोकप्रिय मिठाई है। ये मीठे गोल लाडू हैंय जो बेसनए चीनीए घी और इलायची के साथ गार्निश किए जाते हैं। वे पास के मनेर में सबसे लोकप्रिय हैंए लेकिन ये पटना में भी मिल जाते हैं।

मनेर लाडू

मालपुआ

यह एक लोकप्रिय मिठाई है। जिसमें आटाए दूधए मैश किए हुए केले और चीनी से मालपुआ बनाकर तला जाता है। फिर इसे चाशनी में डुबो दिया जाता है।

मालपुआ

परवल की मिठाई

परवल की मिठाई एक अनोखी मिठाई हैए जो परवल से बनी होती है।

परवल की मिठाई

खाजा

यह एक कुरकुरी मिठाई है। जो गेहूं के आटेए चीनी और मावा को तलकर बनाई जाती है। यह वैफर की तरह ही आटे का तहदार अल्पाहार है।

खाजा

दाल पीठा

इस रेसिपी में चावल के आटे में मसाले वाली दाल को भरा जाता है फिर इसे भाव से पकाया या सेंका जाता है।

दाल पीठा

चना घुगनी

चना घुगनी एक लोकप्रिय स्थानीय नाश्ता है जिसमें उबले हुए छोले होते हैं जिन्हें प्याज और मसालों के साथ बनाया जाता है। इसे चूड़ा भूजाए या पोहे के साथ परोसा जाता है।

चना घुगनी

लिट्टी चोखा

लिट्टी चोखा स्थानीय भोजपुरी संस्कृति का मुख्य व्यंजन है। सर्दियों में पटना का यह लोकप्रिय स्ट्रीट फूड है। गेहूं के आटे और सत्तू से लिट्टी बनाई जाती है फिर इसे भुना या तला जाता है। भुने हुए लिट्टी को परोसने से पहले घी में डुबोया जाता है। लिट्टी को चोखे के साथ परोसा जाता है। चोखा उबले आलू और बैंगन से बनाया जाता है। इसमें कटा हुआ प्याजए टमाटर और धनिया की पत्ती डाली जाती है। लिट्टी को मसालेदार मटन ग्रेवी के साथ भी खाया जा सकता है।

लिट्टी चोखा

लौंग लतिका

लांग लतिका एक कुरकुरा मीठा व्यंजन हैए जिसकी मुख्य विशेषता लौंग है क्योंकि इसे मोड़ते हुए लौंग की मदद से बंद किया जाता है। आटे की गोल रोटी बनाई जाती है और खोआए इलायचीए किशमिशए नारियल और काजू के मिश्रित कर रोटी में भर दिया जाता है और उसे लौंग से बन्द कर दिया जाता है। फिर इसे तल कर चासनी में छोड़ दिया जाता है।

लौंग लतिका