चूड़ियों, टाइलों, प्लास्टिक के डिब्बे, टिन और अन्य अपशिष्ट पदार्थों के टूटे-फूटे टुकड़ों से बनाया गया मालमपुझा उद्यान, एक आकर्षक वास्तुशिल्प चमत्कार है। इसे प्रसिद्ध कलाकार नेक चंद ने डिजाइन किया था, जिन्होंने चंडीगढ़ का प्रतिष्ठित रॉक गार्डन भी बनाया था। इस उद्यान में राज्य के एक प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित मूर्तिकार कन्हाई कुनिरामन द्वारा वर्ष 1969 में निर्मित मालमपुझा यक्षी (एक यक्ष देवी) की विशाल प्रतिमा भी स्थित है। इसके सुव्यवस्थित उद्यान और फूलों के बिछौने (लम्बी-लम्बी क्यारियां) आगंतुकों को तनाव मुक्त कर विश्रांति का अहसास करवाते हैं। बगीचे के बीच से होकर एक नहर बहती है, जिसमें दो लटकते पुल (हैंगगिंग ब्रिज) हैं। आप रोप-वे के ज़रिए बगीचे से गुजरते हुए इस क्षेत्र के सुंदर दृश्यों का नज़ारा देख सकते हैं। बगीचे में नौका विहार की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।

यह उद्यान मालमपुझा नामक सिंचाई बांध के तल पर स्थित है। इसे 20वीं शताब्दी में राज्य की कृषि उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया था। पर्यटक बांध के ठीक पीछे स्थित कावा व्यू पॉइंट की ओर जा सकते हैं, जहां से हरी-भरी पहाड़ियों और शानदार नज़ारों का आनंद लिया जा सकता है। कावा को वर्षा के मेघों का गर्भाशय भी कहा जाता है, क्योंकि यहीं पर वर्षा के मेघ सर्वप्रथम बनते हैैं।

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