यह उत्सव पूरे विश्व के सिक्खों के लिए सबसे महत्वपूर्ण उत्सवों में से एक होता है क्योंकि इसी दिन सिक्खों के दशम गुरु गोबिंद सिंह जी ने गुरु गद्दी गुरु ग्रंथ साहिब जी को हस्तांतरित की थी। इस के बाद से ही इस पवित्र ग्रंथ को अनंत गुरु का दर्जा मिला और तभी से यह श्रद्धालुओं का मार्गदर्शक बन कर उन्हें राह दिखा रहा है। यह पवित्र दिन 3 नवंबर, सन 1708 का था और इसीलिए हर साल इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु उस महान ऐतिहासिक क्षण को याद करने के लिए नांदेड़ आते हैं। इस उत्सव के दौरान सफाई करने का अनुष्ठान ‘तख्त स्नान’, रोशनी करने का अनुष्ठान ‘दीप माला’, गुरु गं्रथ साहिब को पालकी में ले जाने का अनुष्ठान, कीर्तन दरबार, शबद गायन और भक्ति-कथाएं कहने आदि के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस उत्सव को देखना और इसमें शामिल होना श्रद्धालुओं को सचमुच एक यादगार और अनोखा अनुभव प्रदान करता है।

अन्य आकर्षण