वनस्पतियों और पशुओं की दुर्लभ प्रजातियों से परिपूर्ण एक स्वर्ग, एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान नीलगिरि तहर का घर है, जो पर्वत  बकरी की एक प्रजाति है एवं वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ द्वारा लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध है। संपूर्ण विश्व में बकरी की आबादी का एक तिहाई हिस्सा यहाँ निवास करता है। यहाँ पाए जाने वाले अन्य जानवर भारतीय उड़ने वाली लोमड़ी (फ्लाइंग फाॅक्स), एशियाई सियार, सुस्त (स्लॉथ) भालू, छोटे भारतीय कस्तूरी बिलाव आदि हैं। यहाँ की भूमि शोला के वनों से आच्छादित है, जिसका अधिकांश भाग जंगल की घाटियों में है। टर्नर की घाटी, जो पार्क में लगभग आधी दूरी पर स्थित है, सबसे गहरा बिंदु है। नीलकुरिंजी का पौधा, जो एक और असाधारण दृश्य है, यहाँ हर 12 वर्ष में एक बार उगता है। इस स्थल को अपनी भ्रमण करने की सूची में अवश्य रखें क्योंकि दक्षिण भारत की सबसे ऊंची चोटी अनामुडी भी यहीं स्थित है। मुन्नार से 13 किमी दूर एराविकुलम स्थित है। स्मरण रखे, ब्यांत (काल्विंग) मौसम के कारण जनवरी-फरवरी के दौरान उद्यान जनता के लिए बंद रहता है।

विशाल क्षेत्र में फैले, एराविकुलम को 1978 में एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था, जिसमें सैकड़ों स्तनधारी, उभयचर और पक्षी पाए गए थे।

अन्य आकर्षण