यमुना नदी के तट पर स्थित चीर घाट को वह स्थल माना जाता है, जहां भगवान कृष्ण ने कदम्ब के वृक्ष पर चढ़कर स्नान करती हुई गोपिकाओं के वस्त्रों का हरण किया था। ऐसा माना जाता है कि यह वृक्ष भगवान कृष्ण की शरारतों का प्रतीक है, जो आज भी चीर घाट में स्थित है। इस कहानी के प्रति श्रद्धा के रूप में इस पेड़ की शाखाओं पर चीर बांधे जाते हैं। वास्तव में इस वृक्ष विशेष की ऐसी ख्याति है कि लोग आज भी इसकी पूजा करते हैं और प्रसाद बांटते हैं।
इस क्षेत्र में भगवान कृष्ण की सशक्त उपस्थिति को देखते हुए आज भी स्थानीय लोगों और पर्यटकों में इस बात को प्रचारित किया जाता है। इसलिए बृज रस या बृज का आनंद महत्वपूर्ण माना जाता है। एक शांत स्थल, चीर घाट, वृंदावन के आध्यात्मिक रस में रस लीन होने की एक अच्छी जगह है, क्योंकि यहां बैठकर आप नटखट भगवान कृष्ण और उनकी गोपिकाओं के बारे में चिंतन कर सकते हैं।

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