वशिष्ठ गांव मनाली के पहाड़ी शहर से लगभग 4 किमी दूर स्थित है, जो हिन्दुओं के सबसे सम्मानित संतों में से एक, ऋषि वशिष्ठ के नाम पर है। यह छोटा सा गांव अपने गर्म गंधक के झरनों के लिए जाना जाता है, जिस जल में उपचार की शक्ति हैं। शहर का मुख्य आकर्षण वशिष्ठ मंदिर है जो इस झरने के पास है। कहा यह जाता है कि यह मंदिर, जो ऋषि वशिष्ठ को समर्पित है, 4,000 वर्ष से अधिक पुराना है। इसके समीप एक और मंदिर है, जो भगवान राम को समर्पित है।इन आकर्षणों के अलावा इस गांव से, ब्यास नदी और पुरानी मनाली के दृश्य सर्वश्रेष्ठ दिखाई देते हैं। गांव की अधिकांश दुकानें ऊनी कपड़े बेचती हैं। यहां के घर छप्परदार छत वाली पारंपरिक शैली में बनायी रहती हैं और लकड़ी पर जटिल नक्काशी की गई होती है। गांव के अंदर घूम कर कोई भी नजदीक से उनकी स्थानीय संस्कृति को निहार सकता है।महान हिमालयी राष्ट्रीय उद्यान (द ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, भ्रमण)यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का द ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, हिमालय के सबसे अधिक संरक्षित क्षेत्रों में से एक है। यहां वनस्पतियों की लगभग 350 प्रजातियों और जीवों की 800 प्रजातियों का घर है, जिनमें से कुछ तो लुप्तप्राय हैं। पार्क में दुनिया के लुप्तप्राय चार स्तनधारियों (हिम तेंदुआ, सीरो, हिमालयी तहर और कस्तूरी मृग) और तीन पक्षियों की प्रजातियों (पश्चिमी ट्रोगोपैन, कोक्लास, चीयर फिज़ेंट्स) हैं। पार्क के हरे आवरण का एक बड़ा हिस्सा ओक वृक्षों की तीन किस्मों, बान, मोहरू और खर्सु से बना है। यह पार्क नीरव अल्पाइन चरागाहों के मध्य में, कैम्पिंग और ट्रेकिंग के अनुभव पाने का एक आदर्श अवसर प्रदान करता है। पार्क की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय, गर्मियों और पतझड़ ऋतु के दौरान है। इसे सन् 1999 में एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में मान्यता दी गई थी। यह पार्क 1,171 वर्ग किमी में फैला है और इसकी सीमाएं कई अन्य प्राकृतिक अरण्यों जैसे पिन वैली नेशनल पार्क, रूपी भाभा वन्यजीव अभयारण्य और पार्वती घाटी के कंवर वन्यजीव अभयारण्य से मिलती हैं। यहां हिमाचल प्रदेश के भुंतर, मनाली और स्पीति से पहुंचा जा सकता है क्योंकि यह कई उप-हिमालयी क्षेत्रों को कवर करता है। पार्क वन्यजीवों के प्रेमियों और साहसिक उत्साही लोगो, दोनों के लिए आकर्षण का एक केंद्र है क्योंकि यह पार्क के विभिन्न उप-क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ट्रेक का आयोजन होता है, जिसमे आसान से मुश्किल ट्रेक तक होते हैं। सन् 2004 के बाद इसके विस्तार के अंदर और कई गांवों को शामिल कर लिया गया है जिसके चलते पर्यटकों को, स्थानीय लोगों का पर्यावरण के साथ सहजीवी संबंध को देखने का मौका भी मिलता है।

अन्य आकर्षण