सुरुली झरने

क्या अपने कभी पहाड़ों से गिरता जादू देखा है? यदि नहीं, तो कम से कम एक बार थेनी जिले के रमणीय इलाक़ों में 46 मीटर की ऊँचाई से गर्जना के साथ नीचे गिरते सुरूली झरने द्वारा रचे गए सुरम्य परिवेश की पृष्ठभूमि में उत्पन्न होते जादुई संगीत के साक्षी अवश्य बनें। 

सुरूली नदी से उत्पन्न होता यह द्विस्तरीय जलप्रपात पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है। इस जलप्रपात का पहला चरण मेघमलाई पर्वत श्रृंखला से अपनी यात्रा शुरू करने वाली सुरूली नदी के पानी से उत्पन्न होता है। अपने प्रस्थान बिंदु पर पहुँच कर यह झरना शान से 46 मीटर नीचे उतरता है, और फिर वहाँ से एक कुंड में गिरने के बाद यह भव्य जलप्रपात आगे बढ़ कर 12 मीटर की ऊँचाई से दोबारा गिरता है, जो इसका दूसरा स्तर है। सुरुली झरने की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय जून और अक्टूबर के बीच माना जाता है। इस झरने के पास कपड़े बदलने के लिए विशेष कक्ष और नहाने के लिए और फ़व्वारे भी बनाए गए हैं। माना जाता है कि इस झरने के पानी में औषधीय गुण हैं, और इस बात का उल्लेख तमिल साहित्य के सबसे महान महाकाव्यों में से एक, इलंगो आदिगल द्वारा लिखे गए सिलापट्टीकरम में भी किया गया है।

सुरुली झरने

मेगामलाई

आप प्रकृति व पर्यावरण प्रेमी हैं तो मेगामलाई नाम की यह जगह आपके लिए बहुत ख़ास है। इस क्षेत्र में आबद्ध विशाल चाय सम्पदा और इलायची बागानों से घिरा हुआ है मेगामलाई एक ऐसा रमणीय पर्यावरण केन्द्रित स्थान है, जिसे अपने अनछुए जंगलों और प्राचीन झरनों के लिए दूर-दूर तक जाना जाता है। इस क्षेत्र में 100 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों की पहचान की गई है, जिनमें भारतीय धनेश पक्षी, सिपाही बुलबुल, चितकबरा कबूतर और नीली गौरेया शामिल हैं, और यदि आप पक्षी-प्रेमी हैं तो विश्वास रखें इस जगह को स्वर्ग से कम नहीं पाएँगे। हैरान करने वाली जानकारी है कि महान पक्षी विशेषज्ञ सलीम अली द्वारा खोजे गए दुर्लभतम प्रकार के चमगादड़ ‘फ्रूट बैट’ विशेष रूप से इसी मेगामलाई क्षेत्र में ही पाया जाता है। 

और यदि रोमांच का शौक़ रखते हैं आप, तो मेगामलाई में आप एक विशेष रोमांचक अनुभव लेने के लिए यहाँ के जंगलों और चाय बागानों में से गुज़रते हुए पैदल यात्रा ज़रूर करें; पूरी सम्भावना है कि इस यात्रा के दौरान आप भारतीय गौर, जंगली सूअर, हाथी, तेंदुए और यहां तक ​​कि बाघ जैसे जानवरों को ज़रूर देख सकेंगे। मदुरै से मात्र 130 किमी की दूरी पर स्थित मेगामलाई थेनी जिले में स्थित है, और ‘हाई वेवी माउंटेन्स’ या ऊँचे, लहराते पहाड़ों के रूप में जगविख्यात है।

मेगामलाई

पलानी

दक्षिण भारत के अनेकों स्थल सुरम्यता और भक्तिभाव के अद्भुत मेल के लिए प्रसिद्ध हैं, और तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में स्थित यह खूबसूरत हिल स्टेशन अपने प्राचीन मंदिरों और सुरम्य वातावरण की ओर बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। एक समृद्ध इतिहास रखने वाला यह शहर पलानी भारत के सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक, पलानी पहाड़ियों का हिस्सा है। उल्लेखनीय है कि या बेहद पुरानी पहाड़ियाँ जो कैम्ब्रियन-पूर्व काल की मानी जाती हैं। यह शहर कभी मदुरै और कोयम्बटूर के राजाओं द्वारा शासित था, और इसका उल्लेख बहुत से धार्मिक ग्रंथों में पाया जाता है। यह भी कहा जाता है कि इस शहर पर कभी हैदर अली और उनके बेटे टीपू सुल्तान का शासन था, और बालसमुद्रम के पल्यारकों को पलानी पर शासन करने की अनुमति उन्होंने ही दी थी। यह शहर काफी धार्मिक महत्व भी रखता है और यह माना जाता है कि भगवान मुरुगन यहां बस गए थे। पलानी के सबसे अधिक देखे जाने वाले गंतव्यों में से एक है पलानी धांडायुथापानी स्वामी मुरुगन या मुरुगन मंदिर, जो एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। थायपुसम, वैकासी विसकम और थिरुकार्थिगई जैसे त्यौहारों को पलानी में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस दौरान देश के सभी हिस्सों से पर्यटक यहाँ आया करते हैं, उस समय यहाँ की यात्रा करना आपके लिए बहुत आनंददायक अनुभव होगा।

पलानी

कुंबक्करई झरना

मदुरै से लगभग 100 किमी दूर स्थित शांत और दर्शनीय कुंबक्करई झरना कोडाइकनाल की पहाड़ियों में बसा एक सुंदर भ्रमण स्थल है। सुरम्य पृष्ठभूमि में बसा यह द्विस्तरीय झरना एक बेहद रमणीय दृश्य प्रस्तुत करता है जो बरबस ही आपका मन मोह लेगा; इसके अतिरिक्त कोडाई की पहाड़ियों की ओर जाने वाले पैदल यात्री इस झरने को अपने ‘बेस कैंप’ या आधार शिविर के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। इस झरने के पहले चरण में बड़ी-बड़ी प्राकृतिक चट्टानी दरारों में जल का संग्रह होता है; यह जानना मज़ेदार है कि इन चट्टानों को विभिन्न जंगली जानवरों जैसे कि बाघ, हाथी, सांप, आदि के नाम से जाता है। 

इसके बाद पंबर नदी से आता हुआ पानी यहाँ आकर मिलता है, और फिर दूसरे चरण के तौर पर मुख्य झरने के रूप में ऊँचाई से गिरते हुए मोहक दृश्य रचता है। आप चाहें तो यहाँ से निकट ही स्थित देवी थडगाई नचियामैन को समर्पित एक मंदिर में भी जा सकते हैं। माना जाता है कि मंदिर 500 साल पुराना है। इस झरने से 7 किमी की दूरी पर सिरुमलाई मनोरंजन पार्क स्थित है, और यह भी एक देखने लायक जगह है।

कुंबक्करई झरना