इंदिरा गांधी तारामंडल जाइए

शनि ग्रह की आकृति में बना यह भवन सूरजकुंड पार्क में स्थित है और शहर का एक प्रमुख आकर्षण है। तारामंडल में एक आर्ट प्रोजेक्शन सिस्टम हैए जो अपने स्पेशल इफेक्ट और रोमांच के लिए प्रसिद्ध है। यह बच्चों और बड़ों को समान रूप से रोमांचित करता है। यहां का कॉस्मिक जर्नी शो बेहद लोकप्रिय है जिसे एक बार जरूर देखना चाहिए। यह चंद्रयान मिशनए चांदए और प्लूटो को सौरमंडल से हटाने के कारणों की विस्तार से जानकारी देता है। यहां तक कि इसमें विभिन्न मंदाकिनीय ;गैलेक्टिकद्ध संरचनाओं और विभिन्न नीहारिकाओं को भी दिखाया जाता है। यह अपने आर्ट प्रोजेक्टिंग सिस्टमए डिजिटल साउंड और विशेष रूप से विकलांगों के लिए लिफ्ट.रैंप के लिए भी जाना जाता है। इंदिरा गांधी तारामंडल में सप्ताहांत और गर्मियों की छुट्टियों के दौरान ज्यादा भीड़ होती हैए जब पूरे उत्तर प्रदेश के बच्चे आकाशगंगा को देखने आते हैं। शनिवार और रविवार को पहला शो अंग्रेजी में होता हैए जबकि बाकी शो हिंदी में आयोजित किए जाते हैं। इसका प्रवेश शुल्क नाममात्र का है। विकलांगों के लिए यह शो निशुल्क है। इस तारामंडल की आधारशिला वर्ष 1988 में रखी गई थी। इस पहल का प्रमुख लक्ष्य विज्ञान और राज्य के युवाओं में क्विज़ए संवादात्मक सत्रए प्रदर्शनियों और प्रतियोगिताओं के माध्यम से खगोल विज्ञान के अध्ययन को लोकप्रिय बनाना था।

इंदिरा गांधी तारामंडल जाइए

कुकरैल रिजर्व फ़ॉरेस्ट में टहलें

कुकरैल रिजर्व फ़ॉरेस्ट की प्रसिद्धि डियर पार्क के साथ.साथ मगरमच्छ की लुप्तप्राय प्रजातियों की नर्सरी के लिए जाना जाता है। यह वन क्षेत्र हरे.भरे पेड़ों से ढका हुआ हैए जिससे यहां के विभिन्न रास्ते छायादार रहते हैं और आगंतुकों को लिए चहल कदमी में आसानी होती है। इस जंगल में विभिन्न प्रकार के पक्षी और कुछ काले हिरन पाए जाते हैं। पर्यटक यहां पिकनिक भी मना सकते हैं क्योंकि यहां बच्चों का पार्कए कैफेटेरिया और रेस्ट हाउस है। आप यहां आराम करने के साथ.साथ अनोखे मगरमच्छ को देख सकते हैं और उनके लुप्त होने के कगार से वापस लाने वाली योजनाओं के बारे में जान सकते हैं।कुकरैल रिजर्व फ़ॉरेस्ट को 1978 में मगरमच्छों की लुप्तप्राय प्रजातियों के प्रजनन के लिए स्थापित किया गया था। इसे उत्तर प्रदेश वन विभाग और पर्यावरण एवं वन मंत्रालयए भारत सरकार के सहयोग से वित्त पोषित किया गया है। यह पहल वर्ष 1975 में प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ द्वारा किए गए एक अध्ययन का प्रत्यक्ष परिणाम थीए जिससे पता चला था कि उत्तर प्रदेश में केवल 300 मगरमच्छ बचे हैं। ये सभी मगरमच्छ चंबल नदी और अन्य छोटी नदियों में पाए जाते हैं। इस अध्ययन में कहा गया कि इन प्राणियों को संरक्षित करने और उनकी रक्षा करने की बेहद आवश्यकता हैए जबकि उनकी संख्या बढ़ाने के उपाय भी स्वीकृत किये गए थे।

कुकरैल रिजर्व फ़ॉरेस्ट में टहलें

नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान में एक दिन

29 हेक्टेयर के विशाल क्षेत्र में फैलाए लखनऊ चिड़ियाघर के नाम से इस लोकप्रिय चिड़ियाघर में 100 से अधिक प्रजातियों के 1000 से अधिक प्राणी हैं। यह प्राणी उद्यानए बाघए सफेद बाघए फिशिंग कैटए भारतीय भेड़िये और तेंदुए के साथ.साथ एक संकर शेर जैसे मांसाहारी जीवों का घर है। इसमें स्लॉथ बीयरए इंडियन ब्लैक बीयरए गीदड़ए लोमड़ीए जंगल कैट जैसी प्रजातियां भी हैं। यहां जिराफए दरियाई घोड़ा और विभिन्न प्रकार के हिरण भी पाए जाते हैं जो शाकाहारी हैं। प्राइमेट्स की कई लुप्तप्राय प्रजातियांए जैसे कि हूलॉक गिब्बन और रीसस बंदर भी चिड़ियाघर द्वारा संरक्षित हैं। इनके अलावाए पक्षियों की अनेकानेक प्रजातियांए जैसे कि सफेद मोरए पहाड़ी मैनाए भारतीय तोता आदिए साथ ही विभिन्न प्रकार के सरीसृप जैसे भारतीय अजगरए कोबराए सांपए मगरमच्छ और कई अन्य प्राणी भी यहां पाए जाते हैं। आगंतुक सुसज्जित मछलीघर और शांत निशाचर घर का मज़ा भी ले सकते हैंए जहां विभिन्न प्रकार के उल्लुओं और साही समेत अन्य निशाचर प्राणियों को पाला.पोसा जाता है।चिड़ियाघर अपनी ष्बाल रेलष् के लिए भी जाना जाता हैए जो बच्चोें को पार्क का चक्कर लगवाती है। आप यहां मानव निर्मित झील में पैडल बोटिंग भी कर सकते हैं। चूंकि यह जगह काफी फैली है और यहां देखने के लिए भी बहुत कुछ हैए इसलिए इस चिड़ियाघर में घूमने के लिए कई प्रदूषण रहित बैटरी चालित वाहन मिलते हैं।उद्यान की स्थापना वर्ष 1921 में हुई थी। प्रिंस ऑफ वेल्स की लखनऊ यात्रा के सम्मान में इसे पहले प्रिंस ऑफ वेल्स जू़लॉजिकल गार्डन कहा जाता था।

नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान में एक दिन

खरीदारी

लखनऊ के हलचल भरे बाज़ार किसी भी खरीदार के लिए एक उल्लास की बात है। इस शहर में कई अनोखे और सुंदर हस्तशिल्प व हथकरघा उत्पाद उपलब्ध हैं। लखनऊ की स्ट्रीट शॉपिंग में चिकनकारीए आभूषण और अन्य कई हस्तशिल्पों की खरीदारी होती है। पुराने हज़रतगंज में चिकन कशीदाकारी से सजी चीज़ोंए ब्रांडेड कपड़ोंए खादीए गहनों और जूतों की उम्दा किस्में मिलती हैं। पारंपरिक बाज़ार के साथ अपने कंधे मिलाते महंगे शोरूमए सिनेमा हॉल और कारखानों के बिक्री.केंद्र भी यहां हैं।यदि आपको हस्तशिल्प और कृत्रिम आभूषण पसंद हैंए तो अमीनाबाद का रूख करें। यह लखनऊ के सबसे पुराने बाज़ारों में से एक है जो नवाबों के समय से रहा है। अमीनाबाद का एक प्रमुख आकर्षण गड़बड़झाला हैए जिसमें कई चूड़ी की दुकानें हैं और यह शहर के सबसे बड़े श्रंगार बाज़ारों में से एक है। घरेलू उपयोग की चीज़ोंए बर्तनों और चिकन साड़ियों से लेकरए पुरुषों के वस्त्रए खाने की चीजेंए किताबेंए कृत्रिम आभूषण और स्थानीय हस्तशिल्पय अमीनाबाद में वह सब कुछ है जो आपको चाहिए। यदि इस तमाम खरीदारी के चलते आपको भूख सताने लगती हैए तो आप बाज़ार में मौजूद किसी भी फास्ट फूड और स्ट्रीट फूड भोजनालयों में जा सकते हैं।बड़ा इमामबाड़ा से केवल 3 किमी दूर चौक हैए जहां आपको लैंपशेडए वॉल पेंटिंग्सए खिलौने और चाकू जैसी चीज़ें मिल सकती हैं। इसके अलावाए आप इत्र और ज़रदोज़ी.कढ़ाईदार कपड़ों के साथ.साथ फूलों और जूतों की भी खरीदारी कर सकते हैं। यहां एक और प्रसिद्ध बाज़ार 200 साल पुराना नखास है जो भारतीय और विदेशी खरीदारों को इलेक्ट्रॉनिक्स सामानोंए बर्तनों और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की अपनी विशाल रेंज से लुभाता है। आप यहां अपने पालतुओं का आहार और किराने का सामान भी खरीद सकते हैं। हफ्ते के हर दिन व्यस्त रहने वाला बाज़ारए नखास असल में रविवार को जी उठता हैए जब एक रद्दी बाज़ारए सेकंड.हैंड सामानए लकड़ी का सामानए गहनेए कपड़े वग़ैरह बेचता है। आप यहां लखनऊ के नामचीन पानए कबाब और बिरयानी का ज़ायका भी ले सकते हैंए जो इस वक्त खुल आये कई स्टाॅलों पर मिलते हैं।इनके अलावाए लखनऊ में कई अन्य शॉपिंग कॉम्प्लेक्स हैं जो आगंतुकों को प्रसन्न करते हैं.मसाले और घरेलू सामानों के लिए भूतनाथ मार्केटय इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए लातूश रोडय धातु के बर्तनों के लिए याहियागंजय और डिज़ाइनर साड़ियों के लिए कपूरथला। मज़ेदार मोलभाव के कई मौके देने वाली लखनऊ की खरीदारीए आपको शहर की सांस्कृतिक भावना का भी एहसास कराती है।

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