शहर के बाहरी इलाके में सिंधु नदी के तट पर स्थित स्टोक पैलेस आज भी शाही विरासत की अनूठी निशानी है।  अपनी यादो को समेटे यह तीन मंजिला स्टोक पैलेस लद्दाख के शाही परिवार का गर्मियों का घर बना हुआ है। इसके 80 कमरों में से 12 कमरे आज भी आकर्षक साज.सज्जा से सजे हुए हैं।  विरासत को समेटे यह स्टोक पैलेस देखने लायक है। इस पैलेस की सैर अवश्य करना चाहिये क्योंकि यहां पर शाही थानका पेंटिंग्सए राजा के मुकुटए प्राचीन शाही कपड़ेए सिक्केए फिरोजा और लापीस लजुली के जेवर देखने की बहुत ही आकर्षक चीजें हैं। यहां रानी के प्राचीन फिरोजा के जेवर और सोने की सिर में पहनने वाला जेवर जुबूर आने वालों को अपनी ओर खींचता है। इसके अलावा इस पैलेस में कई धार्मिक वस्तुओं का अच्छा संग्रह है।   इस पैलेस में 16 वीं शताब्दी की एक अफगाना तलवार भी है। महल के मैदान में एक कैफे हैए जो खूबसूरत नजारा पेश करता है।  महल से थोड़ी दूरी पर बौद्ध मठ हैए जिसे लामा लवंग लोटस ने बनवाया था। यहां हर सालए तिब्बती कैलेंडर के पहले महीने के 9 वें और 10 वें दिन विशेष नृत्य पेश किया जाता है  ।  इस नृत्य की खासियत यह है कि नाचने वाले कलाकार का  नकाब से चेहरा ढका रहता है। इस महल को 1820 में लद्दाख के शासक राजा त्सपाल नामग्याल ने बनवाया था। जब डोगरा सेना ने उनके लेह पैलेस पर आक्रमण किया ए तो राजा और उनका परिवार इस स्टोक पैलेस में चले आए थे।

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