यह स्मारकीय संरचना कभी ब्रिटिश राज की शक्ति का प्रतीक थी। शहर की धरोहरों में से एक, इस राजभवन को दूर-दूर से पर्यटक देखने आते हैं। यह तीन मंजिला इमारत है, जो कुछ हद तक व्हाइट हाउस की तरह बनी है, इसमें एक भव्य केंद्रीय क्षेत्र है, जिसमें बड़े-बड़े हॉल हैं। चारों तरफ से घुमावदार गलियारे अलग-अलग खंडों में बने घरों की तरफ जाती हैं। सिंहासन कक्ष, बैंक्वेट हॉल, ब्लू ड्राइंग रूम और ब्राउन डाइनिंग रूम सभी पहली मंजिल के मध्य क्षेत्र में हैं। ऐसे ही काउंसिल चैंबर भी है, जहां कई महत्वपूर्ण सरकारी फैसले लिए जाते थे। गवर्नर के अपार्टमेंट और शानदार बॉल रूम दूसरी मंजिल पर स्थित हैं। इस भवन के चारों ओर कई एकड़ में बगीचे हैं और बारीक नक्काशीदार लोहे के ऊंचे-ऊंचे द्वार हैं, जिनके ऊपर बैठे हुए शेरों की मूर्तियां लगी हैं। कुल मिलाकर, राजभवन 27 एकड़ में फैला हुआ है, जबकि इसकी इमारत की कार्पेट एरिया 84,000 वर्ग फुट है। दूसरी मंजिल पर भव्य आवासीय कक्ष हैं। उनमें से सबसे भव्य, प्रिंस ऑफ वेल्स का कक्ष पहली मंजिल पर है। गवर्नर जनरल लॉर्ड वेलेजली ने भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के शासक के रूप में यहां निवास किया था। उनके बाद, भारत की राजधानी दिल्ली स्थानांतरित होने से पहले 23 गवर्नर-जनरल और कई वाइसराय यहीं निवास किए। राजभवन में रहने वाले अंतिम व्यक्ति सर फ्रेड्रिक बर्स थे, जिनके बाद श्री सी. राजगोपालाचारी ने पहले भारतीय गवर्नर के रूप में यहां निवास किया।
सन 1799 और 1803 के बीच निर्मित, यह राजभवन डर्बीशायर के केडलस्टन हॉल से प्रेरित था, जो लॉर्ड कर्ज़न का पैतृक निवास था।

अन्य आकर्षण