दिगंबरों के सबसे पवित्र स्थानों में से एक, पार्श्वनाथ जैन मंदिर को पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह शहर के सबसे सुंदर मंदिरों में से एक है। यह मंदिर नगाड़ा शैली में बना है, जिसमें रचनात्मकता अहम होती है। कलकत्ता के बेलगछिया इलाके में स्थित यह मंदिर लगभग एक शताब्दी पुराना है। वर्ष 1914 में निर्मित यह इमारत पूरी तरह से लाल रंग में रंगी हुई है, जिसमें चार सुंदर बगीचे हैं, जिनके चारों ओर पेड़, फूलों के पौधे और झाड़ियां हैं। एक बार प्रार्थना खत्म होने के बाद, भक्त टैंक में पड़ी हुई सैकड़ों मछलियों को खाना खिला सकते हैं या सुंदर बगीचों में आराम कर सकते हैं। इस परिसर के आकर्षण को बढ़ाने के लिए फव्वारे के साथ-साथ एक ही जल स्रोत से पानी पीते गाय और बाघ की मूर्तियां बनाई गई हैं। इस इमारत के लाल रंग के साथ शुद्ध सफेद संगमरमर से बने स्तम्भ का संयोजन बेहद आकर्षक है। इसमें सुन्दर धार्मिक शिलालेख हैं जो जैन धर्म के अन्य पक्षों के साथ-साथ अहिंसा के महत्व की चर्चा करते हैं। टॉवर के अलावा यहां भिक्षुकों के क्वार्टर हैं, मंदिर कार्यालय की इमारत में एक पुस्तकालय है और धार्मिक कार्यक्रमों के लिए एक सामुदायिक क्षेत्र भी है। यहां तक कि वहां एक दुकान भी है जहां से पर्यटक अपने प्रियजनों के लिए उपहार और स्मृति चिन्ह खरीदते हैं।
दिगम्बर और श्वेताम्बर जैन धर्म के दो मुख्य संप्रदाय हैं, जिनका मानना है भौतिक चीज़ों पर बढ़ती निर्भरता सभी समस्याओं की जड़ है इसीलिए वो सभी भौतिक चीज़ों से परहेज़ करते हैं। ये साधु भौतिक चीजों से इतनी दूरी बना लेते हैं वे अपने कपड़ों तक से भी लगाव नहीं रखते सिर्फ इसीलिए ताकि वे मोक्ष प्राप्त कर सकें। हालांकि साध्वियों या अर्यिकाओं को साधारण-सी सफेद साड़ी पहनने की अनुमति है।

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