कोलकाता का चाइनाटाउन भारत में चीनी प्रवासियों की सबसे बड़ी बस्तियों में से एक है। चीनी प्रवासी 18वीं शताब्दी में यहां आकर बसे थे। पर्यटकों को चाइनाटाउन में घूमना काफी अच्छा लगता है। शहर के पूर्वी तट पर टांग्रा और टेरिटी बाजार के आसपास स्थित चाइनाटाउन में बहुत ही हलचल रहती है। यहां पर ज़्यादातर दरवाज़े चमकीले रंग के होते हैं और इनमें कागज़ के लैंप लटके होते हैं, जो उत्सव का एहसास देते हैं। यहां कई बौद्ध मंदिरों, एक पुरानी चीनी पेस्ट्री की दुकान और कई चीनी रेस्तरां हैं, जहां विशुद्ध चीनी व्यंजन परोसे जाते हैं। इन सब चीजों के कारण चीनी संस्कृति यहां पर स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, वैसे आप यहां भारतीय और बंगाली स्वाद का भी यहां आनंद ले सकते हैं। आप विशुद्ध चीनी सॉस, सूखे मशरूम, राइस स्टिक, ऑयल स्टिक, चिकित्सीय चाय और बाम, झींगा के वेफर और सड़क किनारे स्थित दुकानों में मसाले तथा यादगार वस्तुएं यहां से खरीद सकते हैं। यहां का प्रमुख आकर्षण चीनी मंदिर है जिसमें एक भगवान शिव और दो देवी काली की मूर्तियां हैं। इन मूर्तियों को स्थापित करने वाला यह दुनिया का एकमात्र चीनी मंदिर है। दिलचस्प बात यह है कि इस मंदिर में एक बार एक चीनी पुजारी था और देवी को नूडल्स चढ़ाए जाते थे।
फरवरी में चाइनाटाउन एक लाल कैनवस में बदल जाता है, लालटेन की रोशनी से सभी गलियां नहा उठती हैं, और धूप बत्ती की स्टिक की मादक खुशबू हवा में फैली रहती है। यह वह समय है जब चीनी नव वर्ष मनाया जाता है। गलियों में किया जाने वाला प्रसिद्ध लॉयन डांस इस उत्सव का मुख्य आकर्षण है। चूंकि चीनी पौराणिक कथाओं में शेर आनंद और खुशी का द्योतक है, इसलिए इसे शुभ माना जाता है और यह माना जाता है कि यह सफलता लाता है और शैतानी शक्तियों को दूर रखता है। यह नृत्य लाल लकड़ी से बने ड्रमों को बजाकर किया जाता है जिसे एक लकड़ी के हथौड़े से बजाया जाता है। ड्रम बजाने वाला व्यक्ति उसे अपने गले में पहने रहता है। इस त्यौहार के दौरान लोग किपाओ के पारंपरिक परिधान पहने हुए दिखाई देते हैं, जो एक पारंपरिक टोपी के रूप में फेंगगुआ के साथ पहना जाता है। उनकी पोशाक रेशम से बुनी जाती है और उसके किनारों, आस्तीन और कॉलर पर फूलों की आकृतियां बनी होती हैं और मोटा फीता लगा होता है।
लोग मंदिर में अगरबत्ती भी जलाते हैं और उनकी अनोखी परंपरा के अनुसार, पहली स्टिक बड़ी होती है, उसके बाद छोटी स्टिक जलाई जाती हैं। यह माना जाता है कि स्टिक जितनी अधिक देर तक जलेगी, भक्त का जीवन उतना ही लंबा होता जाएगा। चीनी दीपक जो चमकीले रंग के होते हैं, वे भी समारोहों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। कई लोग मानते हैं कि दीपक में तेल डालने से समृद्धि और सौभाग्य आता है। इस प्रकार, उन्हें कभी भी बुझने नहीं दिया जाता है और पूरे साल जलाया जाता है।
यह उत्सव इस समुदाय की पाक संस्कृति का उत्सव भी है, और सड़कों पर अस्थायी भोजनालय तथा स्टाल लगाए जाते हैं जिनमें कुछ उत्कृष्ट व्यंजन परोसे जाते हैं। घर में बने अचार से लेकर झींगे के चिप्स तक, सुबह 6 बजे से शुरू होने वाला यह खाद्य बाज़ार विभिन्न व्यंजनों का लुत्फ उठाने का सुनहरा मौका है। दिन भर मिलनी वाली मुंह में लार टपकाने वाली पकौड़ी या मोमोज को चखना न भूलें।

अन्य आकर्षण