निस्संदेह असम के सर्वश्रेष्ठ खजाने में से एक, प्राचीन माजुली द्वीप दुनिया में सबसे बड़ा नदी द्वीप होने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम लिखाकर एक गौरवशाली प्रतीक बन गया है। एक जीवंत संस्कृति और बेमिसाल प्राकृतिक सुंदरता को समेटे हुए, इस द्वीप को असम की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जाना जाता है। मिशिंग  जनजाति, देओरी, सोनोवल कचारी और अहोम्स जैसे समुदायों के मिश्रण का घर, माजुली प्रकृति और संस्कृति का एक अद्भुत संगम है।

अलौकिक गुलाबी सूर्यास्त का दृश्य देखने से लेकर स्थानीय लोगों द्वारा चावल की बीयर का ताजा प्याला लेकर,आपका स्वागत करना,  माजुली जानता है कि आपको कैसे एक बेहतरीन वक्त गुजारने का यहां मौका देना है। जबकि माजुली में वसंत का मौसम अली-एआई-लिगांग त्योहार (जो बुवाई के बीज की शुरुआत को चिह्नित करता है) का साक्षी है, शरद ऋतु में रास महोत्सव (भगवान कृष्ण का सम्मान करने के लिए चार दिवसीय उत्सव) होता है। माजुली के त्योहार युवा पुरुषों और महिलाओं द्वारा किए गए विभिन्न नृत्यों के साथ असमिया संस्कृति की झलक प्रदान करते हैं।

द्वीप स्थानिक और प्रवासी पक्षियों की कई प्रजातियों का घर भी है। पक्षी प्रेमी और प्रकृति-प्रेमी द्वीप और आसपास की आकर्षक झीलों को देखने के लिए विशेष गाइडेड टूर ले सकते हैं। जो बात माजुली को और भी खास बनाती है, वह यह है कि यह असम में वर्षों से नव-वैष्णववाद का गढ़ रहा है। माजुली की समृद्ध संस्कृति उन 25 क्षत्रपों या मठों में परिलक्षित होती है जो यहां खड़े हैं। सबसे प्रभावशाली कमलाबाड़ी सतरा है।

माजुली खरीदारी करने वालों के लिए तो जैसे स्वर्ग के समान है और यात्री यहां से अति सुंदर मिशिंग शॉल और कंबल खरीद सकते हैं, जो द्वीप में रहने वाले आदिवासी समुदायों द्वारा बनाए जाते हैं। माजुली के लोग बांस का प्रयोग वाद्य यंत्रों और मछली पकड़ने के उपकरणों से लेकर अपने घरों तक में करते हैं। आप यहां से असम में उपयोग किए जाने वाले, हाथ से बुने गमूसा, एक बहुउद्देश्यीय कपड़ा भी खरीद सकते हैं।

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