कानपुर का एलन जू (प्राणी उद्यान) भारत के सबसे पुराने चिड़ियाघरों में से एक है। करीब 76 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह चिड़ियाघर पहली बार 4 फरवरी, 1974 में आम जनता के लिए खोला गया था। पूरी तरह से मानव निर्मित जंगल में बसा यह प्राणी उद्यान अपने आप में लगभग एक ऐसे चिड़ियाघर की तरह ही है, जहां विभन्न जंगली जानवर खुले और प्राकृतिक माहौल में रहते हैं। यह एक ऐसी जगह है, जहां उन्हें जंगल में न रहते हुए भी जंगल का सा ही आभास होता है। इसे कुछ इस ढंग से बनाया गया है कि यहां एक जानवर दूसरे जानवर को नहीं देख सकता। मतलब यह कि हर जानवर के पास अपना-अपना निजी स्थान है। इससे एक-दूसरे के बीच तनाव उत्पन्न नहीं होता। 

इस उद्यान का नाम प्रसिद्ध ब्रिटिश उद्योगपति जार्ज बर्ने एलन के नाम पर रखा गया है, जो एक वनस्पती वैज्ञानिक थे। इस पार्क को विकसित करने में बहुत उनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका थी। सिर्फ एक ऊदबिलाव को रखने से शुरू हुआ यह पार्क आज अनेकों जीव-जंतुओं का घर बन गया है। पर्यटक यहां आसानी से चित्तीदार हिरण, विशाल घड़ियाल, चिंपाजी, बबून, ओरौंगोटेन, षटपदि तोता, एशियाई बाघ, भूरे हवासील और सुस्त भालू को देख सकते हैं। इस उद्यान को दलदल में रहने वाले हिरण (स्वाम्प डियर) की विलुप्त होती प्रजाति के प्रजनन केन्द्र के रूप में भी चयनित किया गया है, साथ ही यह जगह उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में पाये जाने वाले बारहसिंहा के लिए भी प्रसिद्ध है। 

अन्य आकर्षण