घोड़े की काठी के आकार के टीले और घुमावदार तीस्ता नदी की सुंदरता को खुद में समेटे पश्चिम बंगाल स्थित कलिम्पोंग हिल स्टेशन इस क्षेत्र के लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक है। बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरा और विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को अपने शिखर पर लिए कलिम्पोंग अपने प्राकृतिक सौंदर्य और औपनिवेशिक आकर्षण से सैलानियों को जम कर आकर्षित करता है।

सिलिगुड़ी से लगभग 65 किलोमीटर दूर स्थित, कलिम्पोंग अपने बौद्ध मठों, तिब्बती हस्तशिल्प और पुराने गिरिजाघरों के लिए जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब यहां की स्थानीय लेपचा जनजाति के पुरुष खेती के कामों से फारिग हो जाते थे तो वे लोग तरह-तरह के खेल खेला करते थे। इसी वजह से इस जगह हो ‘कलिम्पोंग’ नाम मिला जिसका शाब्दिक अर्थ है-टीला, जहां हम खेलते हैं। किसी जमाने में यह शहर भारत और तिब्बत के बीच हिमालय के आरपार होने वाले व्यापार का केंद्र हुआ करता था जहां से व्यापारी जेलेप-ला दर्रे से होते हुए सिक्किम और तिब्बत के बीच माल लाते-ले जाते थे। यह शहर अपने उन शिक्षा संस्थानों के लिए भी जाना जाता है जिनमें से अधिकतर ब्रिटिश शासन काल में स्थापित किए गए थे। कलिम्पोंग के आसपास के क्षेत्र पर 19वीं सदी तक सिक्किमियों और फिर भूटानी शासकों का आधिपत्य हुआ करता था।