झज्जर कोटली

झज्जर कोटली कटरा से 15 किमी दूर स्थित है। यह जुज्जर नदी के तट पर स्थित एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है। जुज्जा का तरोताजा करने वाला पानी इस स्थान का आकर्षण केन्द्र है और यहाँ पर्यटकों के आवास सुविधा सहित मनोरम दृश्यावलियाँ हैं।

झज्जर कोटली

बाहु किला

बाहु किले का निर्माण राजा बाहुलोचन ने कराया था जो 3000 वर्ष पुराना है और यह तवी नदी के किनारे स्थित है। इसकी शानदार बनावट आसपास के क्षेत्रों की दृश्यावलियाँ देखने के लिए उपयुक्त हैं। शहर से 5 किमी दूर यहाँ देवी काली का मन्दिर है। इस किले का जीर्णोद्धार 19वीं शताब्दी में डोगरा शासकों ने कराया था जिसमें बाग-ए-बाहु नाम का एक बाग टेरेस (छज्जे) पर बनवाया गया।

बाहु किला

अमर महल पैलेस

भव्य अमर महल पैलेस अब म्यूजियम बना दिया गया है और यह जम्मू का एक दर्शनीय स्थल है। इसे मेवाड़ के राजा अमर सिंह 19वीं शताब्दी में बनवाया था और यहाँ अनेक आकर्षक कलाकृतियाँ रखी गयी हैं। इनमें 120 किग्रा भार की सोने की राजगद्दी, कांगड़ा शैली की चित्रकारी और 25,000 ऐतिहासिक पुस्तकों से भरा एक पुस्तकालय तथा बहुमूल्य कलाओं का संग्रह शामिल है। यह महल लाल बलुआ पत्थर से बना है और इसकी वास्तुकला फ्रांस के भव्य दुर्ग से मेल खाती है।

अमर महल पैलेस

कुद्द

कुद्द जम्मू से लगभग 103 किमी दूर स्थित है और यह 1,738 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक लोकप्रिय रिसॉर्ट है। इसकी दृश्यावली प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द लेने के लिए आदर्श है। इस प्रकार यहाँ अनेक लोग पिकनिक का आनन्द लेने के लिए आते हैं। रोमांचप्रिय लोग भी यहाँ खिंचे चले आते हैं क्योंकि यहाँ ट्रैकिंग और कैम्पिंग के लिए पर्याप्त विकल्प हैं। इस स्थान की विशेषता यहाँ की एक मिठाई है जिसे पतीसा कहते हैं। यदि आप यहाँ घूमने आते हैं तो पतीसा खरीदना मत भूलिए।

कुद्द

मुबारक मण्डी महल

मुबारक मण्डी महल डोगरा राजाओं का शाही निवास था जो जम्मू के सर्वाधिक आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक है। इसका इतिहास 150 वर्षों से अधिक पुराना है, यहाँ अनेक महल, भवन तथा प्रांगण (आँगन) हैं। 1925 तक यह इस राज्य का प्रमुख स्थान था। इसके बाद राजा हरीसिंह यहाँ से जम्मू के हरी-निवास महल में चले गये। इस भवन का एक भाग गोलघर है जिसके अब अवशेष ही हैं किन्तु इसकी भव्यता बनी हुई है। यहाँ पर पिंक हाल भी दर्शनीय है जिसे अब म्यूजियम बना दिया गया जिसमें चित्रकलाएँ तथा मुगल बादशाह शाहजहाँ का एक स्वर्णजड़ित धनुष तथा तीर रखा हुआ है। इसकी वास्तुकला अत्यन्त आकर्षक है जिसमें राजस्थानी, मुगल तथा यूरोपीय शैलियों का प्रयोग किया गया है।

 मुबारक मण्डी महल

सनराइजर झील

जम्मू से लगभग 42 किमी दूर सनराइजर झील है जो न केवल प्राकृतिक रूप से सुन्दर है बल्कि इसका पौराणिक इतिहास भी है। सनराइजर और मानसर झीलें जुड़वाँ झीलें मानी जाती हैं। सनराइजर झील मैंग्रोव और लम्बे देवदार के वृक्षों से घिरी है। ऐसी धारणा है कि अर्जुन ने मानसर झील में एक तीर मारा जिससे पृथ्वी के अंदर से पानी निकला जिसे अब सनराइजर झील कहा जाता है।

सनराइजर झील

मानसर झील

नौकायन तथा रोमांचकारी खेलों के लिए आदर्श स्थान मानसर झील देखने के लिए पूरे देश से पर्यटक आते हैं। घने जंगलों, तलहटी की पहाड़ियों, छोटे पार्कों और मन्दिरों से परिपूर्ण यह एक सुन्दर स्थल है। पिकनिक तथा तीर्थस्थलों वाला यह स्थान जम्मू से लगभग 62 किमी दूर है और यह एक मील की लम्बाई तथा आधे मील की चौड़ाई में विस्तृत है। झील के निकट देवी दुर्गा के एक मन्दिर के साथ एक मन्दिर उमापति महादेव और नरसिंह भगवान के हैं जहाँ रोजाना श्रद्धालु पूजा करते हैं। नवविवाहितों का विश्वास है कि झील की परिक्रमा करना फलदायक और पवित्र होता है। झील में विभिन्न वनस्पतियाँ और जन्तु पाये जाते हैं और इसमें मछलियाँ, कछुए तथा मौसमी पक्षी भी देखे जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें शैवालों की 207 किस्में तथा जलपक्षियों की 15 प्रजातियाँ पायी जाती हैं।यहाँ का प्रमुख आकर्षण खाद्य एवं कला त्यौहार है। यहाँ के कुछ समुदाय अपने बालकों का मुण्डन संस्कार भी करवाते हैं।

मानसर झील

रणवीर नहर

जम्मू से करीब 2 किमी दूर लोकप्रिय पिकनिक स्थल रणवीर नहर है जो लगभग 400 किमी के अपने विस्तार सहित लगभग 60 किमी लम्बी है। भव्य उद्यान और हरियाली के कारण यहाँ शहर के अन्य स्थानों की अपेक्षा अधिक संख्या में पर्यटक आकर्षित होते हैं। यह नहर चिनाब नदी के बायें से प्रारम्भ होती है और जम्मू ज़िले के चार तालुकों से होकर गुज़रती है। नहर के दाहिने तट पर एक विद्युतगृह तथा रंगीन बगीचे हैं जो इसके सौन्दर्य को बढ़ाते हैं। मजेदार बात यह है कि गर्मियों में भी इसका पानी बर्फ की तरह ठण्डा रहता है। इस नहर का निर्माण 1905 में पूरा हुआ था और 1968 तथा 1975 के बीच इसका पुनर्निर्माण किया गया था।

रणवीर नहर