यह राष्ट्रीय पार्क दुनिया भर में मशहूर है क्योंकि यहीं पर भारत का पहला सफेद बाघ देखा गया था। भारत भर में सबसे ज्यादा यहीं पर बाघों का घनत्व है। बांधवगढ़ विंध्य पर्वतमाला पर फैला हुआ है और यह 22 किस्म के स्तनधारी जीवों, ढाई सौ तरह के पक्षियों और 70 प्रकार की तितलियों का घर है। साथ ही यहां कई किस्म की वनस्पतियां, ऊंची घास के मैदान और साल के घने जंगल भी हैं। इन सुविधाओं के कारण ही यहां बड़ी संख्या में जानवरों और पक्षियों का अस्तित्व बना हुआ है। बंदर और लंगूर भी यहां बहुतायत में पाए जाते हैं। इस पार्क में सैलानियों के अनोखे अनुभव के लिए लिए जीप सफारी और हाथी की सफारी की सुविधा भी उपलब्ध है।

यह पार्क तीन जोन-तल, मगड़ी और बमेरा में बंटा हुआ है। इनमें से तल सबसे ज्यादा लोकप्रिय है क्योंकि इसी में बाघ देखे जाने की सबसे ज्यादा संभावना होती है। यहां जाने वालों को मगड़ी में आयोजित किए जाने वाले एलिफैंट-शो भी जरूर देखने चाहिएं। करीब स्थित बांधवगढ़ किला भी यहां का एक प्रमुख आकर्षण है। स्थानीय मान्यता है कि यह किला भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण को भेंट में दिया था। इस ‘गढ़’ यानी किले के नाम में ‘बांधव’ का अर्थ भाई है और इसी से यह मान्यता बनी है। इस क्षेत्र में लगभग दो हजार वर्ष पहले के पुरातात्विक साक्ष्य पाए गए हैं। यहां पाई गईं शैल-चित्रों और शिलालेखों वाली मानव निर्मित गुफाएं निश्चित तौर पर देखने लायक हैं।

अन्य आकर्षण