यह विचित्र नगर दुनिया भर में शिव की दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा के लिए सर्वाधिक विख्यात है। भव्य अरब सागर और पश्चिमी घाटों के हरे-भरे सौंदर्य की पृष्ठभूमि आपके अनुभवों को और भी गौरवपूर्ण और प्रभावशाली बना देती है। आख्यानों के अनुसार, आत्म लिंग (एक दैवी लिंग) का एक टुकड़ा इस समुद्र तट पर ठीक इसी स्थान पर गिरा और उसी ने यह निर्धारित किया कि मंदिर का निर्माण कहाँ किया जाएगा। यहाँ बड़ी संख्या में छोटे-छोटे शिव मंदिर भी बने हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि वर्ष भर बड़ी संख्या में सैलानी मुरुदेश्वर के दर्शन करने आएं। जब आप शहर का भ्रमण कर रहे हों तो मूर्ति (स्टैच्यू) पार्क को देखना न भूलें, जहाँ शिव पुराण के पात्रों के साथ-साथ भारतीय महाकाव्य, महाभारत के पात्रों की आदमकद प्रतिमाएं स्थापित हैं। यहाँ की एक अन्य विशेषता रावण की वह मूर्ति है जिसमें वह एक गड़ेरिये का वेश धरे भगवान गणेश को आत्मलिंग सौंप रहा है। भारतीय आख्यानों में वर्णित अनेक मुनियों की अलग-अलग ध्यान मुद्राओं वाली आदमकद मूर्तियाँ भी यहाँ बहुतायत में मौजूद हैं। मुरुदेश्वर बीच बिलकुल सफेद रेत वाला समुद्र तट है जिसे कोंकण के समुद्र तटों में सबसे साफ-स्वच्छ माना जाता है। जिनकी साहसिक पर्यटन में दिलचस्पी है, मुरुदेश्वर उन्हें अनके विकल्प उपलब्ध कराता है। वे चाहें तो वाटर स्पोर्ट्स का, स्नोरकेलिंग का या समुद्र तट पर शांति से घूमने-टहलने का आनंद उठाएं या फिर नजदीक ही उन ऐतिहासिक स्थलों को देख आएं, जो यहाँ बड़ी संख्या में मौजूद हैं।

अन्य आकर्षण