महाकाल गुफाओं के नाम से भी जानी जाने वाली डुंगेश्वरी गुफाएं बोध गया के उत्तर-पूर्व में 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। मान्यता है कि बोध गया में ज्ञान की प्राप्ति होने से पहले महात्मा बुद्ध ने इसी स्थान पर छह वर्ष तक तपस्या की थी। उनकी इस कठिन साधना को दर्शाती एक क्षीणकाय स्वर्ण-प्रतिमा यहां के एक गुफा-मंदिर में स्थापित है। महात्मा बुद्ध के जीवन-काल के उस दौर को याद करती उनकी छह फुट ऊंची एक प्रतिमा एक अन्य गुफा में भी स्थापित है।

किंवदंती है कि यहां पर कठिन साधना करते हुए बुद्ध बेहद क्षीण हो गए थे। तब सुजाता नाम की एक गो-पालक ने उन्हें खाना और पानी भेंट किया था। बाद में बुद्ध को यह अहसास हुआ कि ज्ञान की प्राप्ति आत्म-हनन से नहीं होगी और वह बोध गया की ओर प्रस्थान कर गए। इन गुफा-मंदिरों में से एक मंदिर देवी डुंगेश्वरी को भी समर्पित है।

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