धरती पर सबसे पुराना जीवित वृक्ष माना जाने वाला अक्षय वट बरगद का पेड़ है जिसका वर्णन कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। कथानुसार देवी सीता ने इस अक्षय वट को अमर होने का वरदान दिया था और कहा था कि किसी भी मौसम में उसका एक पत्ता तक नहीं झड़ेगा। एक अन्य कथा कहती है कि एक बार ऋषि मार्कंडेय को अपनी शक्ति का अहसास कराने के लिए भगवान विष्णु पूरी पृथ्वी को जलमग्न कर दिया था और यह पेड़ तब भी नहीं डूबा था। रामायण में वर्णन आता है कि इसी पेड़ के नीचे भगवान राम ने विश्राम किया था। जैन शिलालेखों में वर्णित है कि तीर्थंकर ऋषभदेव ने इस वृक्ष के नीचे गहन साधना की थी। इसीलिए इसे जैनियों द्वारा भी पवित्र माना जाता है। यह वृक्ष विष्णुपद मंदिर के निकट स्थित है।

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