भारत के पष्चिमी तट के साथ, उत्तर में ताप्ती नदी से लेकर भारत के दक्षिणी सिरे तक, पष्चिमी घाट अपने आप में जैव विविधता का एक विषाल ख़ज़ाना समेटे हुए हैं। यह दुनिया का आठवां जैव विविधता वाला प्रमुख स्थल है जो केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र तकमें फैला हुआ है। पष्चिमी घाट में इलायची पहाड़ियां, नीलगिरी, अन्नामलाई पहाड़ियां एवं सहयाद्रि पर्वतमाला स्थित हैं।पष्चिमी घाट में स्तनपाई जंतु की 139 से अधिक प्रजातियां, विभिन्न पक्षियों की 508 से अधिक प्रजातियां, पुष्पों की 5,000 सेअधिक प्रजातियां तथा वन्य जीवों की 179 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। ये सब मिलकर इस क्षेत्र को अनोखा बनाते हैं। मलाबार कामुष्क-बिलाव, एषियाई हाथी, काला तेंदुआ, षेर जैसी पूंछ वाला लंगूर, बाघ, जंगली सूअर, भालू, चीता, सांबर तथा ग्रेट इंडियन हाॅर्नबिलजैसे लुप्तप्रायः वन्यजीव भी यहां पर देखने को मिलते हैं। पष्चिमी घाट के विषाल क्षेत्रफल में फैले हरे-भरे जंगलों में 39 अभयारण्य एवं 13राष्ट्रीय उद्यान विद्यमान हैं।

अन्य आकर्षण