गंगटोक से करीब 20 किमी की दूरी पर एक पहाड़ी पर स्थित है रमटेक या रुम्तेक मोनेस्ट्री (मठ), जिसे धर्मचक्र सेंटर के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान तिब्बती बौद्ध धर्म से संबंध रखने वाले करमा कग्यु वंश के मुखिया ग्यालमा करमापा 16वें की गद्दी के रूप में भी प्रसिद्ध है। 16वीं सदी में बनाई गयी यह मोनेस्ट्री सिक्किम की सबसे विशाल मोनेस्ट्री है, जिसमें स्थानीय वास्तु-कला के बेहद नायाब और शानदार नमूने देखने को मिलते हैं। यहां बने विशाल प्रार्थना कक्ष को आलीशान कलाकृतियों, मूर्तियों और प्राचीन थांकाओं (कपड़े पर बनाई गयी बौद्ध धर्म चित्रकारी) से सजाया गया है। यहां आने वाले पर्यटक खूबसूरत थंका पेंटिंग्स के अलावा कग्यु (र्कग्यु) वंश की पेंटिंग्स और आठ बोधित्सव भी देख सकते हैं। यह बौद्ध मठ कग्यु शिक्षाओं का विश्व प्रसिद्ध केन्द्र भी है। इस इमारत का मुख्य हिस्सा पारंपरिक तिब्बती मठ शैली के अनुरूप ही बनाया गया है। मठ की आंतरिक साज-सज्जा में मूर्तियों, भिŸाचित्रों तथा चित्रकारी का खुलकर प्रयोग किया है। मोनेस्ट्री के मुख्य हिस्से में एक बहुत बड़ा प्रार्थना कक्ष भी है, जिसमें साक्य मुनि बुद्ध की 10 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गयी है। इसके अलावा मोनेस्ट्री में विरुपाक्ष, विरुधक, धृतराष्ट्र और वैश्रवण की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं, जिन्हें ब्रह्मांड का संरक्षक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि एक धार्मिक अनुष्ठान के बाद जब 9वें करमापा ने पवित्र चावल फेंके थे तो उसमें से चावल के चार दाने सिक्किम में आकर गिरे, जिसमें एक चावल का दाना वहां गिरा था, जहां पुराना रमटेक मठ है जो कि धर्मचक्र मठ से महज 15 मिनट की पैदल की दूरी पर ढलान पर स्थित है।  

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