गंगोटोक से 56 किमी की दूरी पर स्थित है नाथू ला पास (पहाड़ी दर्रा) जो विश्व की सबसे ऊंची पक्की सड़क के रूप में विख्यात है। 20वीं सदी में यह सड़क सिक्किम और तिब्बत के बीच फर, ऊन तथा मसालों के व्यापार का मुख्य मार्ग हुआ करती थी। आज इस मार्ग से भारत और चीन के बीच व्यापार किया जाता है, इसलिए इसे भारत-चीन सीमा के रूप में भी जाना जाता है। इस मार्ग के दोनों ओर प्रवेश द्वार बनाए गये हैं, जहां दोनों देशों के सेना बंकर भी बने हुए हैं। यहां सीमा पर लगी कंटीली तारों के उस पास चीनी सैनकों को अपनी सीमा की सुरक्षा करते हुए भी देखा जा सकता है। इस बार्डर चेक पोस्ट पर भारतीय सेना के प्रर्दशनी स्थल के साथ एक युद्ध स्मारक का निर्माण भी किया गया है। यहां आपको विश्व का सबसे ऊंचा एटीएम भी देखने को मिलेगा, जो इस दर्रे पर 4404 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जब त्सोंगमो झील से होते हुए नाथु ला पास से गंगटोक जाते हैं तो पूरा रास्ता उच्चा पर्वतीय वनस्पतियों से घिरा मिलता है। इस पूरे रास्ते पर चुम्बी घाटी के अद्वितीय नजारों के साथ-साथ हर दूसरे कदम पर सेना का मजबूत बंदोबस्त भी दिखाई देता है। नाथू ला दर्रे की इस यात्रा के दौरान आप बाबा हरभजन मंदिर भी देख सकते हैं, जिसका निर्माण हाल में हुआ है। यहां का मौसम तेजी से बदलता है। अगर आप भाग्यशाली हैं और आपको मौसम साफ मिला तो आप भव्य चोमोल्हारी (जमोल्हारी भी कहते हैं) पर्वत का नजारा भी ले सकते हैं, जो कि भूटान का दूसरा सबसे ऊंचा पर्वत है। भारतिय सैलानी, पर्यटन एवं नागर विमानन विभाग से विशेष अनुमति लेकर इस दर्रे को देखने जा सकते हैं, जिसे सिर्फ पंजीकृत ट्रैवल एजेन्सी ही मुहैया करा सकती है। लेकिन विदेशी पर्यटकों को यहां जाने की अनुमति नहीं है। यह दर्रा पर्यटकों के लिए हर सप्ताह बुधवार से लेकर रविवार तक दोपहर 1.30 बजे तक खुला रहता है। अत्याधिक ऊंचाई पर होने की वजह से यहां पहुंचने पर कुछ लोगों को आक्सीजन की कमी महसूस हो सकती है। सर्दियों में बहुत भारी बर्फबारी होती है और न्यूनतम तापमान -25 डिग्री से. तक गिर  जाता है। एक बात का विशेष ध्यान रखना जरूरी है कि यहां कुछ स्थानों पर फोटो खींचना वर्जित है। 

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