गंगटोक से करीब सात किमी दूर एक पहाड़ी पर गणेश जी का मंदिर है, जिसे गणेश टोक के नाम से जाना जाता है। इस मंदि का निर्माण सन 1953-53 में श्री अपा बी. पंत ने करवाया था जो कि उस समय भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा एक विशेष अफसर के रूप में यहां तैनात थे। यहां आने वाले पर्यटक जब इस मंदिर में पूजा करने आते हैं, तो यहां से दिखने वाले गंगटोक शहर के खूबसूरत नजारों में भी खो जाते हैं। मंदिर तक का रास्ता रंग-बिरंगी झंड़ियों से सजा है, जिन्हें श्रद्धालुओं ने अपनी आस्था के रूप में यहां लगाया है। झंडियों से सजा यह पूरा मार्ग मंदिर तक की यात्रा को और ज्यादा खूबसूरत बना देता है। मंदिर को इसकी लोकेशन और ज्यादा महत्वपूर्ण बना देती है। इसलिए यह फोटोग्राफरों के बीच भी खासा लोकप्रिय है। क्योंकि उन्हें यहां से अपने कैमरे में कैद करने के लिए प्रकृति के अनगिनत नजारे फिल्माने का भरपूर मौका मिल जाता है। यही नहीं बढ़िया लोकेशन पर बने होने की वजह से यहां से पूरा गंगटोक शहर और कंजनजंगा पर्वत के भव्य नजारे के अलावा सिनिओलचू पर्वत की चोटी भी नजर आती है जो कि यहां से काफी दूर है। गणेश जी का यह मंदिर आकार में काफी छोटा है, लेकिन इसकी छत बहुत विशाल है, जहां से आस-पास के सुंदर नजारे बड़े आराम दे दिखाई देते हैं। मंदिर की छत पर जाने के लिए सीढ़ीयां बनाई गयी हैं, जहां से सैलानी बड़े आराम से जा सकते हैं। यहां एक जलपान गृह भी है, जिसकी खूबसूरत गोल आकार में बनी बालकनी में बैठ कर पर्यटक गरमा-गरम चाय-काफी और नाश्तों का मजा ले सकते हैं।

 यहां से शहर के साथ-साथ राजभवन का नजारा भी लिया जा सकता है। मंदिर परिसर में ही एक गिफ्ट शाप भी है, जहां से सैलानी अपने साथ सिक्किम से जुड़े खास चीजों की खरीददारी यादों के रूप में लेकर जाते हैं। गणेश टोक, फोटोग्राफरों के बीच बेहद लोकप्रिय है

अन्य आकर्षण