जैसा कि इस उद्यान के नाम से प्रतीत होता है, गंगटोक में स्थित इस डियर पार्क को हिरणों का गढ़ जाए तो गलत नहीं होगा। इस पार्क की स्थापना सन 1950 में की गयी थी और तब से लेकर आज तक यहां सिक्किम तथा आस-पास के राज्यों से हिरण लाये जाते रहते हैं। यह अभयारण्य नये सचिवालय के वन्य क्षेत्र में बना है और यहां सैलानियों की आवाजाही के खासतौर पर ऐसे रास्ते बनाए गये हैं, जहां से वह जंगल प्राकृतिक माहौल में विचरण करते हिरणों को बड़े आराम से देख सकते हैं। वैसे हिरणों के अलावा यहां रेड पांडा और हिमालयी भालू जैसे अन्य वन्य जीवों को भी संरक्षण दिया जाता है। यहां इस पार्क में महात्मा बुद्ध की भी एक प्रतिमा स्थापित है, जहां वह अपने अनुयायियों को सत्य की शिक्षा देते हुए दिखाई देते हैं। इस प्रतिमा के समक्ष फूलों से सजे एक छोटे से मंच पर घी का दीपक हमेशा प्रज्वलित रहता है। 

भगवान बुद्ध की यह प्रतिमा उनके पहले प्रवचन के समय की याद दिलाती है, जो उन्होंने उत्तर प्रदेश के सारनाथ में स्थित मृग उद्यान में दिया था और उनके कस्तूरी मृग के अवतार के बारे में भी बताती है। इस पार्क का शांत और सुकूनमयी वातावरण सैलानियों को प्रकृति और करीब ले जाता है। वैसे इस जगह को रुस्तमजी पार्क के नाम से भी जाना जाता है। रुस्तमजी, सिक्किम के चोग्याल परिवार के दीवान हुआ करते थे, साथ ही बेहद प्रसिद्ध पुस्तक एन्चांटेड फ्रंटियर्स के लेखक भी हैं। 

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