स्टैलाग्माइट और स्टैलेक्टाइट संरचनाओं के लिए जाने जाने वाले त्रिलोकपुर में भगवान शिव का एक गुफा मंदिर है। पर्यटक इस क्षेत्र में देवी शक्ति को समर्पित तीन मंदिरों की यात्रा भी कर सकते हैं। इनमें से मुख्य है भगवती त्रिपुर बाल सुंदरी का मंदिर, जिसमें देवी दुर्गा की बचपन की छवि को दर्शाया गया है। इससे थोड़ी दूर पर पहाड़ी पर स्थित है शक्ति मंदिर, जो भगवती ललिता देवी को समर्पित है। एक अन्य आकर्षण त्रिपुर भैरवी का मंदिर है।किंवदंती है कि माँ बालसुंदरी त्रिलोकपुर में वर्ष 1573 में एक नमक की बोरी में दिखाई दीं। उस नमक की बोरी को उत्तर प्रदेश के देवबंद से एक स्थानीय दुकानदार राम दास ने लाया था। पूरे दिन इस बोरी से नमक बेचने के बावजूद, यह बोरी खाली नहीं हुई। वह इस चमत्कार को समझने में असफल रहा। उसी रात, देवी उसके सपने में देवबंद से लापता होने की अपनी कहानी सुनाने के लिए प्रकट हुईं। उन्होंने उससे कहा कि यहां एक मंदिर का निर्माण करवाया जाए और उनका वैसा ही पिंडी रूप स्थापित करवाया जाए, जो नमक की बोरी में मौजूद था। उन्हें देवी वैष्णो के शिशु रूप महामाया बाल सुंदरी के नाम से पूजा करने के लिए भी निर्देशित किया गया। चूंकि वह खुद बहुत अमीर नहीं था, इसलिए राम दास सिरमौर राज्य के राजा से मिलने गया, जो मंदिर बनाने के लिए सहमत हो गए। 1570 ई. में जयपुर से कारीगरों को बुलाया गया और तीन साल में संगमरमर का मंदिर बनकर तैयार हुआ। वर्ष 1823 में महाराजा फतेह प्रकाश द्वारा और कुछ साल बाद वर्ष 1851 में महाराजा रघुबीर प्रकाश द्वारा इसे पुनर्निर्मित किया गया था। हर साल 32 लाख से अधिक श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। जबसे मंदिर की स्थापना हुई है तबसे राम दास के वंशजों ने ही यहां मुख्य पूजा की है।

अन्य आकर्षण