नई दिल्ली के बीचोंबीच स्थित भारत के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास यानी कि राष्ट्रपति भवन में स्थित है मुग़ल गार्डन। इसमें विभिन्न प्रजाति के असंख्य खिले हुए फूल देखने को मिलेंगे।इसका डिज़ाइन प्रसिद्ध वास्तुकार सर एडविन लुटियन द्वारा सन् 1917 में तैयार किया गया था। निस्संदेह, मुग़ल गार्डन राष्ट्रपति भवन की शान एवं आकर्षण का मुख्य केंद्र है। वसंत के मौसम में यह बाग सार्वजनिक रूप से खोल दिया जाता है ताकि आमजन यहां खिले हुए फूलों का अवलोकन कर सकें। यह बाग 15 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इसे बनाने की प्रेरणा जम्मू-कश्मीर के मुग़ल गार्डन से मिली है। जिस प्रकार से आगरा के ताज महल के आसपास फूलों का कालीन बिछा हुआ है, ठीक उसी प्रकार से यहां पर फूल लगाए गए हैं। 

यद्यपि, इस गार्डन का डिज़ाइन 1917 में पूरा हो गया था और यहां पर 1928-29 के दौरान ही फूल उगाए गए थे। ऐसा कहा जाता है कि सर एडविन लुटियन ने तत्कालीन बागवानी निदेशक विलियम मस्टो के मिलकर फूलों को लगाने का भी काम किया था। जब बाग में फूल लगा दिए गए तब कोलकाता (उस समय कलकत्ता) से डोब घास मंगवाई गई। इस घास को पूरे बाग में फैला दिया गया। रोचक तथ्य यह है कि लुटियन ने मुग़ल गार्डन को दो भागों में विभाजित किया था - एक मुग़ल स्टाइल में तथा दूसरा इंग्लिश फ्लॉवर गार्डन में। यहां पर विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फूलों के अलावा मुग़ल-शिल्प में नालियां, मेड़ एवं झाड़ियां विद्यमान हैं। इन झाड़ियों के आसपास यूरोपियन फूल उगे हुए हैं, साफ-सुथरे उद्यान हैं तथा बाड़ बनी हुई हैं। 

हर वर्ष, फरवरी और मार्च के बीच आयोजित होने वाले उद्यानोत्सव के दौरान बड़ी संख्या में लोग रंग-बिरंगे खिले हुए फूलों की सुंदरता देखने मुग़ल गार्डन की ओर खिंचे चले आते हैं।

यहां पर जो फूल खिले हुए हैं, उनमें गुलाब प्रमुख हैं। यहां पर गुलाबों की 159 से अधिक प्रजातियां (लगभग) विद्यमान हैं। इनमें अडोरा, ब्लू मून, ओकलाहोमा के साथ-साथ काला गुलाब बेलामी कुछ नाम ऐसे हैं जो बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। इनके अतिरिक्त यहां पर प्रतिष्ठित एवं प्रसिद्ध हस्तियों के नाम पर रखे गए गुलाब भी देखने को मिलते हैं, जैसे मदर टेरेसा, अब्राह्म लिंकन, महारानी एलिज़ाबेथ एवं राजा राम मोहन राय। यह देखकर आपको अवश्य हैरानी होगी कि यहां पर भीम तथा अर्जुन (हिंदु महाग्रंथ महाभारत के पात्र) नाम के गुलाब भी हैं।

सुंदर गुलाबों के अलावा आपको यहां पर इस मौसम में खिलने वाले अनेक आकर्षक फूल भी देखने को मिलेंगे। इनमें डैफ़ोडिल, हाइसिंथ, लिली इत्यादि प्रमुख हैं। यह बाग इसके लिए भी प्रसिद्ध है कि यहां पर बोगनवेलिया की 60 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां पर 50 प्रजातियों के पेड़, झाड़ियां एवं लताएं विद्यमान हैं। इनमें मौलसिरी का पेड़, गोल्डन रेन ट्री तथा टॉर्च ट्री प्रमुख हैं। इन पर सुंदर पुष्प खिलते हैं। मुग़ल गार्डन इन्हीं फूलों के लिए तो जाना जाता है।

राष्ट्रपति भवन के दूर तक फैले उद्यान केवल आराम फरमाने अथवा सराहना पाने के लिए नहीं बनाए गए हैं। पिछले कई वर्षों में, यहां रहने आए विभिन्न राष्ट्रपतियों ने इस व्यापक जगह के सदुपयोग के लिए अनेक कारगर कदम उठाए। इन विभिन्न उपायों के माध्यम से इस उद्यान की क्षमता का कुशलतापूर्वक उपयोग किया गया। श्री सी. राजगोपालाचारी का उदाहरण लें। स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में वहां यहां के पहले निवासी बने। उन्होंने इन उद्यानों में गेहूं उगाई, जिससे देश में खाद्य पदार्थों की कमी को दूर करने का संदेश गया। राष्ट्रपति केआर नारायणन ने सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के साथ मिलकर यहां पर वर्षा के पानी का संग्रह किया ताकि भूजल का स्तर बढ़ सके। राष्ट्रपति कलाम ने हर्बल गार्डन तथा नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए टैक्टाइल गार्डन बनाने में सहयोग दिया। इनके अतिरिक्त यहां पर म्यूज़िकल गार्डन, बायो-फ्यूल पार्क, आध्यात्मिक एवं पोषण उद्यान और भी न जाने कितने उद्यानों का निर्माण किया गया। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने यहां पर बोनसाई गार्डन एवं प्राकृतिक पगडंडियां बनाकर अपना योगदान दिया। उन्होंने प्रोजेक्ट रोशनी का भी शुभारंभ किया, जिससे राष्ट्रपति भवन पर्यावरण अनुकूल बन सके। इसका लाभ यह हुआ यहां रहने वाले प्राकृतिक संसाधनों का उचित उपयोग कर सकेंगे। वे अपनी 

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